नागपुर। पितृछाया को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी द्वारा तैयार किए गए लेआउट में निर्धारित सदस्यों को प्लॉट आवंटित किए गए थे। बाद में इन सदस्यों ने प्लॉट खरीदे और महाराष्ट्र गुंठेवारी विकास अधिनियम 2001 के तहत नियमितीकरण की मांग करते हुए प्रन्यास से संपर्क किया। हालांकि यह मामला अभी विचाराधीन है।
इस मुद्दे को लेकर सुरेश महल्ले एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने 16 अप्रैल 2025 को पारित कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए अर्जी लगाई। लेकिन सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कोर्ट के प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ रहे, जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश में किसी भी प्रकार का संशोधन करने से इनकार कर दिया और अर्जी खारिज कर दी।
कोर्ट ने अपने 16 अप्रैल 2025 के आदेश में यह कहा था कि चूंकि जनहित याचिका क्र. 40/2013 में 19 अप्रैल 2014 को एक अंतरिम आदेश पारित हुआ है, जिसमें प्रतिवादी विकास योजना में खेल के मैदानों के लिए आरक्षित भूमि पर किसी भी अतिक्रमण को नियमित नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह रिट याचिका क्र. 237/2023 में भी एक अंतरिम आदेश मौजूद है, जो एनआईटी को गुंठेवारी विकास के नियमितीकरण से रोकता है।
विशेष टिप्पणी:
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से विशेष रूप से यह पूछा कि क्या याचिका में कहीं भी यह स्पष्ट किया गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन से विकास योजना (डीपी) आरक्षण प्रभावित नहीं होता। लेकिन वकील ऐसा कोई भी कथन याचिका से प्रस्तुत नहीं कर सके। इसी आधार पर कोर्ट ने आदेश संशोधन की मांग को खारिज कर दिया।
प्रन्यास की ओर से पेश वकील ने बताया कि 14 फरवरी 2022 को पहले ही शहर सर्वेक्षण अधिकारी एवं सोसायटी को पत्र भेजा गया था, जिसमें आसपास के भूखंड मालिकों द्वारा दी गई आपत्तियों पर विचार मांगा गया था।
कोर्ट के निर्देश:
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने सिटी सर्वे अधिकारी को निर्देश दिया कि वे 14 फरवरी 2022 के पत्र के संदर्भ में स्पष्ट जानकारी प्रस्तुत करें। साथ ही, कोर्ट ने सहकारी समितियों एवं जिला उप पंजीयन अधिकारी को भी निर्देश दिए कि वे रिकॉर्ड के आधार पर यह सुनिश्चित करें कि संबंधित सोसायटी निष्क्रिय नहीं है। साथ ही, सोसायटी के पदाधिकारियों को याचिका की सुनवाई में उपस्थित रहने के लिए उचित सूचना भेजी जाए।
पिछली सुनवाई में सोसायटी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ था, जिसके चलते कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी और चेतावनी दी थी कि यदि अगली सुनवाई में अनुपस्थिति रहती है तो सोसायटी पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया जाएगा।