Published On : Tue, Feb 10th, 2015

चंद्रपुर : रा.ज.का. संघ ने कामगारों को छोड़ा अपने हाल पर !


राजुरी स्टील कामगारों के आंदोलन का पांचवा दिन

वि. बालु धानोरकर ने की मुलाकात

Rajuri Plant workers
चंद्रपुर। चंद्रपुर जिला अौद्योगीक जिला होने के बावजूद भी अनेक कामगार संघटनाएं कार्यरत है. ये कामगार संघटनाएं सिर्फ कामगार संघटना के लिए काम करते हुए दिख रहे है. लेकिन असंघटित कामगारों का प्रश्न उठानेवाली संघटना काफी कम है. इन दिनों राष्ट्रवादी जनरल कामगार और विदर्भ प्रहार कामगार संघटना का नाम लिया जा रहा है. लेकिन मूल के राजूरी स्टील कामगारों को अपने हाल पर छोड़ने का साहस राष्ट्रवादी जनरल कामगार संघटना ने कर दिखाया है. जिससे कामगारों पर भुखोमरी की नौबत आई है. ऐसी जानकारी राजूरी स्टील कामगारों के प्रतिनिधी ने दी है. इस दौरान नवनिर्वाचित विधायक बालु धानोरकर ने अनशन करने वाले कामगारों से मुलाकात करके उनको दिलासा दिया.

चंद्रपुर जिले में अनेक उद्योग स्थापित हुए है. यहां बाकि प्रांत के लोगों ने भी उपजीविका का साधन देखकर मजदूरी का काम अपनाया है. देखते ही देखते जिले ने मिनी इण्डिया का रूप धारण किया. कामगार क्षेत्र का विस्तार होते ही शासन ने कामगारों को न्याय दिलाने के लिए कामगार विभाग और कामगार न्यायालय की स्थापना चंद्रपुर में की. इन संस्थाओं के माध्यम से कामगारों को न्याय मिलेगा ऐसी उम्मीद कामगार संघटना की थी. लेकिन कामगार संघटना ने आवाज बुलंद की. उसी संघटना का आवाज दबाने का प्रयास शासन कामगार विभाग के माध्यम से किया गया है.

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विगत चार वर्ष पहले चंद्रपुर महानगर से 40-50 किमी दुरी पर राजुरी स्टील एंड अलॉय कम्पनी अस्तित्व में आई. लोगों को न्याय मिलेगा ऐसी उम्मीद नागरिकों की थी. कम्पनी का काम देखकर 55 व्यक्तियों को रोजगार दिया गया. ऐसा होकर भी कम्पनी ने राज्य शासन के कामगार कानून का पालन नही किया. ये बात राष्ट्रवादी जनरल कामगार संघटना को पता चलने पर सभी कामगारों को अपना सदस्य बनाया. राजका संघ की ओर से न्याय मिलेगा ऐसी उम्मीद सभी कामगारों को थी. राजका और कामगारों की शिकायत के बाद कामगार विभाग ने इसकी जाँच की. इस जाँच में कामगारों को वेतन, वेतन पर्ची, पीएफ कट नही होने का स्पष्ट हुआ. कामगार विभाग ने इस दौरान कंपनी पर कार्रवाई करने की उम्मीद कर राजका संघ के पदाधिकारियों ने कम्पनी के अधिकारियों से हाथ मिलाया.

जिस दिन कामगार, कामगार आयुक्त और कम्पनी व्यवस्थापन में बैठक रखी गई. उसी दिन कम्पनी के अधिकारी राजका संघ के अध्यक्ष सहित एक ही वाहन से उतरते हुए कामगारों को दिखे. ये देखकर संतप्त हुए कामगारों ने राजका संघ अध्यक्षों को खरीखोटी सुनाई. आखिर कोई भी कारण न दिखाते हुए राजुरी स्टील एंड अलॉय कम्पनी बंद की गई. इस कम्पनी में शुरू कामकाज विभाग के ध्यान में आते ही उन्होंने कार्रवाई क्यों नही की? ऐसा प्रश्न निर्माण हो रहा है. राजका संघटना ने हमे धोका दिया ऐसी चर्चा कामगारों में शुरू है. कामगारों की गंभीर स्थिती को देखते हुए विदर्भ प्रहार संघटना के अध्यक्ष एड. हर्षलकुमार चिपलूनकर ने न्यायलय में दौड़ लगाई. कोई भी कारण न बताते हुए कामगारों को कम्पनी से निकालना कितना सही है? ऐसा प्रश्न विदर्भ प्रहार संघटना ने निर्माण किया है. कामगारों को न्याय मिलने तक हम लड़ेंगे ऐसा एड. हर्षलकुमार चिपलूनकर ने घोषणा की.

लड़ाई जारी रखे, हम जीतेंगे- वि. बालु धानोरकर
विगत चार दिनों से शुरू कम्पनी के कामगारों के अनशन की जांच स्वतः वि. बालु धानोरकर ने की. जिलाधिकारी कार्यालय के सामने अनशन मंडप में बैठकर कामगारों से मुलाकात की. कामगारों के साथ अन्याय हुआ है और कामगारों को न्याय मिलने तक हम उनके साथ रहेंगे ऐसा आश्वाशन दिया गया. कामगार अगर न्यूनतम वेतन मांग रहे तो यह उनका दोष नही है. कामगारों ने शुरू किया आंदोलन न्याय के हिसाब से सही है. कामगारों ने लड़ाई जारी रखे हम जरूर जीतेंगे. ऐसा विश्वास वि. बालु धानोरकर ने आंदोलनकर्ताओं को देकर उनका उत्साह बढ़ाया है. फिर भी जिला प्रशासन कामगारों की समस्या कैसी दूर होगी इसकी ओर सभी का ध्यान लगा पड़ा है.

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