Published On : Mon, Mar 26th, 2018

रामजन्म के दिन किया सूर्यकिरणों ने किया… शिवलिंग व रामजी का अभिषेक

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  • बेलिशॉप प्राचीन शिवमंदिर में देखने मिला अद्भूत नजारा
  • १० दिनों तक जारी रहेगा किरर्णोत्सव
  • सुबह ६ से ६.३० बजे के बीच दिखाई देगा
  • मंदिर में किरणोत्सव
  • कोल्हापूर महालक्ष्मी मंदिर के बाद विदर्भ में यह पहला मंदिर


नागपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे कालोनी, बेझनबाग, कामठी रोड, बेलिशाप-मोतीबाग स्थित ३१० से अधिक वर्ष पुराना प्राचीन श्री शिवमंदिर में रामनवमी की सुबह अनोखा नजारा देखने मिला| मंदिर परिसर में स्थित श्री राम मंदिर व शिवमंदिर के गर्भगृह में पहुंच कर सूर्य की किरणों ने शिवलिंग का अभिषेक किया| जिसे हम सूर्य स्नान भी कह सकते है|

उसी प्रकार सूर्य की किरणों ने मंदिर में स्थित भगवान राम के चरणों को स्पर्श कर मुखमंडल पर अपनी किरणों का तेज प्रसारित किया| यह नज़ारा वर्ष में एक बार ही देखने मिलता है चैत्र नवरात्र के मध्य से लेकर अप्रैल १० तारीख तक वह भी सूर्योदय के समय सुबह ६ से ६.३० बजे तक यह नज़ारा होता है| इसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है| मंदिर की रचना ऐसी बनी है कि जहां सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के अंदर शिवलिंग व राम व लक्ष्मणजी की प्रतिमा पर पड़ती है| इस तरह की रचना का मंदिर शायद विदर्भ में एक मात्र है|

सूर्य स्नान का उदाहरण हमें कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में देखने मिलता है| विदर्भ में यह एकमात्र मंदिर है जहां सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर जाकर किरणों से अभिषेक करती है| उसी तरह रामजी के चरण व मुखमंडल पर अपनी किरणों से स्पर्श करती है| मंदिर परिसर में करीब ५० फिट लंबा स्लैब है साथ ही मंदिर के समक्ष १०० वर्ष पुराना पिपल का पेड़ स्थित है| पंडाल लगा है फिर भी सूर्य की किरणें गर्भगृह में पड़ती है|

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रामनवमी उत्सव समिति के सदस्यों व मंदिर ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने लोगों से इस अद्भुत नजरे को देखने का अनुरोध किया है| इस संबंध में अधिक जानकारी हेतु आप पी. सत्याराव ९०९६९९०२८९९, डा. प्रवीण डबली ९४२२१२५६५६, शरद शर्मा ९४२२८१९७३२ से संपर्क कर सकते है| इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु मंदिर ट्रस्ट के सभी कार्यकर्ता प्रयासरत है| किरणोत्सव के इस अद्भुत नजारे को देखने का आवाहन विरेंद्र झा, डॉ. प्रवीण डबली, पं कृष्ण मुरली पांड्ेय, पी. सत्याराव, शरद शर्मा, जुगलकिशोर शाहू, पी विजयकुमार, बलराम प्रसाद, प्रकाशराव (गुन्डु) सहित अन्य श्रद्धालु सदस्यों ने किया है|

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