नागपुर: शहर के ऑन लाइन लॉटरी कारोबारी राहुल आग्रेकर की हत्या प्रकरण में लिप्त आरोपी पंकज हारोडे और उसके मौसेरे भाई जैकी उर्फ मन्नीलाल प्रजापति को लकडगंज पुलिस ने गुरूवार को अदालत के समक्ष पेश िकया। अदालत ने दोनों आरोपियों को 8 दिसंबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। पंकज को पश्चिम बंगाल के हावडा कोलकाता से गिरफ्तार कर नागपुर लाया गया।
पंकज की पत्नी आठ माह की गर्भवती है। आरोपियों ने राहुल को जलाने के िलए बूटीबोरी से उमरेड रोड जाने वाले मार्ग पर पेट्रोल पंप से बोलेरो दूर रोकर पेट्रोल खरीदे थे। पुलिस पंकज हारोडे और उसके मौसेरे भाई जैकी को िगरफ्तार कर चुकी है। फरार दुर्गेश की तलाश की जा रही है। उसके पंजाब के अमृतसर शहर में जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सूत्रों के अनुसार जैकी प्रजापति कई दिनों से पुलिस की हिरासत में था। गुरुवार को पुलिस ने आरोपी पंकज के साथ उसे भी अदालत में पेश िकया।
जैकी के मोबाइल पर िकया था पहली बार फोन
आरोपी पंकज हारोडे ने जैकी के मोबाइल पर मामला शांत हुआ िक नहीं यह जानने के िलए पहली बार हावडा से फोन िकया था। उसके बाद पुलिस पंकज की तलाश में हावडा कोलकाता पहुंची और उसे एक लॉज से धरदबोचा। आरोपी पंकज ने यहीं से अपनी गर्भवती पत्नी का हाल जानने के िलए साले के मोबाइल पर एसटीडी बूथ फोन कर उससे बातचीत करने की कोशिश की थी। सूत्रों की मानें तो आरोपी दुर्गेश बोकडे और पंकज हारोडे ऑन लाइन लॉटरी कारोबारी राहुल आग्रेकर का अपहरण करने के बाद उसकी पेटीचूहा के जंगल में गोली दागकर हत्या करने की फिराक में थे, लेकिन वहां पर वन विभाग के एक कर्मचारी द्वारा बोलेरो को जंगल की ओर जाने पर टोका टाकी करने लगा। तब पंकज बोलेरो अपने खेत पर ले गया , वहां पर काम कर रहे 73 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति से बातचीत िकया। बाद में राहुल, दुर्गेश और पंकज बोलेरो से निकले। बोलेरो में दुर्गेश ने राहुल के सिर पर डंडे से हमला कर दिया, जिससे वह बेहोश हो गया। उसके बाद आरोपियों ने राहुल आग्रेकर पर पेट्रोल डालकर उसे जिंदा जला दिया। पुलिस ने एक माउजर, तीन जीवित कारतूस और दो मैगजीन भी जब्त किया है। अब इस बात का पता लगाया जा रहा है िक आरोपियों ने माउजर, कारतूस कहां से खरीदा था। पुलिस उपायुक्त राहुल माकनीकर ने इस बात की पुष्टि कर दी है िक डीएनए रिपोर्ट आ चुकी है। वह शव राहुल आग्रेकर का ही है। डीएनए के िलए उसके माता-पिता का खून सैंपल जांच के लिए लिया गया था। उस खून के सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
शव जलाने के बाद गए थे सावनेर
राहुल आग्रेकर की हत्या करने के बाद आरोपियों ने उसके भाई जयेश से एक करोड रुपए की फिरौती मांगी थी। राहुल का शव जलाने के बाद दोनों आरोपी सावनेर में दुर्गेश की नानी के घर गए थे। उसके बाद वहां से वह दोनों केलवद होते हुए छिंदवाडा में पंकज के मौसेरे भाई जैकी प्रजापति के घर पोवामा में गए। यहां पर रात का भोजन करने के बाद नरसिंहपुर के िलए रवाना हो गए। यहीं पर दुर्गेश और पंकज ने करीब 30 हजार रुपए मंगवाए। यह दोनों इतने शातिर हैं िक इन्होंने अपने बैंक खाते में रकम जमा करवाने के बजाय दूसरे के खाते में रकम मंगवाई। बाद में उसी बैंक खाता धारक का एटीएम लेकर रकम निकाल लिया। उसके बाद दुर्गेश और पंकज हावडा के लिए रवाना हो गए। जैकी के घर से पंकज और दुर्गेश ने दो स्वेटर भी लिया था। यह दोनों पैसे खत्म होने पर दूसरे के मोबाइल से फोन कर दोस्तों और रिश्तेदारों को बैंक के नए खाते का नंबर देकर उसमें रकम बुलाया करते थे।
सूत्रों के अनुसार दुर्गेश बोकडे और पंकज हारोडे पर सट्टा के चलते ज्यादा कर्जबाजारी हो गई थी। दुर्गेश यह बात जानता था िक राहुल के पास हर दिन लाखों रुपए की आवक है। उसके परिवारवाले बडी रकम कभी भी दे सकते हैं। इसलिए दोनों ने उसके अपहरण की योजना बनाई। राहुल को इस बात की भनक तक लगने नहीं दिया कि दोनों ने उसके अपहरण की योजना बनाई। राहुल की हत्या करने के पहले पंकज और दुर्गेश उसके भाई जयेश का अपहरण करने वाले थे। पंकज ने अपनी बोलेरो के दो नंबर प्लेट 4 नवंबर को बनाया। 8 नवंबर को नंबर प्लेट लाया। एक नंबर प्लेट पर असली नंबर एम एच 49 बी- 7744 लिखवाया और दूसरी नकली नंबर प्लेट पर एम एच 40 ए- 3952 लिखवाया। नकली नंबर प्लेट को लगाकर 15 नवंबर को जयेश के अपहरण करने दुर्गेश और पंकज गए थे। उस दिन दुर्गेश ने तीन अलग- अलग मोबाइल नंबर से उसे फोन िकया था। जयेश की शहीद चौक में मेडिकल दुकान पर दुर्गेश गया था। जयेश के अपहरण की योजना विफल होने पर राहुल के अपहरण की योजना को आरोपियों ने अंजाम देकर उसकी हत्या कर दी। 21 नवंबर को राहुल को पेटीचूहा में ले जाने के बाद उसकी हत्या की।
पंकज भाईगिरी करना चाहता था
पंकज के पिता और भाई ईट भट्टे का कारोबार देखते हैं। पंकज बोलेरो से घूमता रहता था। वह बोलेरो से पडोसी राज्य में जाकर मजदूर लाने का काम करता था। इसलिए वह हमेशा बोलेरो से घूमते फिरते रहता था। सूत्रों की मानें तो उसे भाईगिरी करने का शौक भी लग गया था। वह घर का कामकाज नहीं करता था। वह मजदूर बाहर से लाने का काम करता था। मजदूरों से काम करवाने का जिम्मेदारी उस पर थी।
