अकोला। जिले से होकर बहनेवाली पूर्णा नदी के प्रदूषण का मुद्दा फरवरी 2014 में उठा था, जो आज तक सुलझ नहीं पाया है. पूर्णा नदी में आज भी अमरावती एमआईडीसी, महानगरपालिका तथा अकोला एमआईडीसी का गंदा पानी छोडा जा रहा है. इस संदर्भ में विगत स्थायी समिति की सभा में जिप सदस्या शोभा शेलके ने फिर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल को कटघरे में खडा किया था. इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मंडल इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है. इस बीच जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की ओर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल को दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पत्र भेजा है. अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल संबंधित कारखाना संचालकों के खिलाफ अपराध दर्ज करता है या उनके खिलाफ ही अपराध दर्ज करवाने की नौबत जिला परिषद प्रशासन पर आती है, यह आनेवाला समय ही बताएगा.
बता दें कि अकोला जिले से बहनेवाली पूर्णा नदी का पानी फिर से हरे रंग में तबदील होने के साथ ही बदबूदार हो गया है. इस गंदे बदबूदार पानी को ही पीने के लिए पूर्णा नदी से सटे ग्रामवासी मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उनके पास पेयजल की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. ऐसे में कट्यार, दोनवाडा समेत खारनापट्टा क्षेत्र के कई गावों के सामने पेयजल की समस्या निर्माण हो गई है .इस प्रकार फिर से पूर्णा नदी का पानी दूषित होने से जिप सदस्या शोभा शेलके ने स्थायी समिति की सभा में प्रदूशण नियंत्रण मंडल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे.
उल्लेखनीय है कि शोभा शेलके ने पूर्णा नदी के किनारे अनशन आंदोलन किया था, जिस पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अकोला एमआईडसी समेत अमरावती एमआईडीसी एवं महानगरपालिका का पानी नदी में छोडना बंद करणे को कहा था.