Published On : Fri, Feb 26th, 2021

सत्तापक्ष के शह पर स्थाई समिति में धूल खा रही टेंडर का प्रस्ताव

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– 12 फरवरी 2021 को किराए पर चल रहे कारों की समयावधि समाप्त हो चुकी हैं

नागपुर : व्यक्तिगत द्वन्द और मनपा पर मजबूत पकड़ रखने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे.इस क्रम में अपने ही प्यादों से टार्गेटेड अधिकारियों पर नाना प्रकार से संगीन आरोप लगवाए जा रहे तो दूसरी ओर अपने अपनों को मनपा में स्थापित करने के लिए स्थाई समिति तो कभी सत्तापक्ष नेता के कंधों का इस्तेमाल बखूबी जारी हैं.इस बार प्रशासन द्वारा किराए के कारों की टेंडर मुद्दत ( समयावधि) समाप्त होने के बाद पुनः टेंडर प्रक्रिया के लिए स्थाई समिति में भेजी गई,जिसे मनपा में सत्तापक्ष का संचलन करने वाले ने अटका दिया,नतीजा एक माह बीत जाने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया के प्रस्ताव को स्थाई समिति की हरी झंडी नहीं मिली।

क्यूंकि स्थाई समिति का वर्त्तमान कार्यकाल समाप्ति पर हैं,संभवतः एकाध समिति की बैठक नए सभापति के पदार्पण के पूर्व हो सकती हैं,इस बैठक में गर यह विषय नहीं आया तो नए सभापति के कार्यकाल में उम्मीद की जा सकती हैं.

इस टेंडर प्रक्रिया को रोकने के पीछे का महज एक कारण यह हैं कि सत्तापक्ष के मध्य अंदरूनी कलह पूर्ण शबाब पर शुरू हैं.एक विधायक दूसरे विधायक और उसके परिजनों को फूटी आँख सुहा नहीं रहा,उसे जड़ से उखाड़ने के लिए पूर्ण ताकत झोंक रहा.इस चक्कर में स्थाई समिति सभापति और सत्तापक्ष नेता बलि का बकरा बन रहे.क्यूंकि इनकी आड़ में उक्त खेल शुरू हैं.


उल्लेखनीय यह हैं कि मनपा में उंगलियों पर गिनने लायक अधिकारी-पदाधिकारियों को वाहन सुविधा देने का प्रावधान हैं, लेकिन तत्कालीन पदाधिकारियों ने खुद के लाभ के लिए अधिकारियों के कंधों पर बंदूक रख शेष अधिकारी-पदाधिकारियों को भी वाहन सुविधा उपलब्ध करवाने संबंधी आदेश पारित किया था। जबकि अधिकारियों को PETROL ALLOWANCE भी वेतन के साथ दिया जाता हैं।तब अधिकारी पदाधिकारी सीमित थे और मनपा में वाहन और वाहन चालक भी समाधानकारक थे,जैसे जैसे समय बीतता गया,वाहन और वाहन चालकों की कमी होने के साथ पदाधिकारियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती गई।इसके कारण मनपा को किराए का वाहन उपयोग में लाना पड़ा,जिसका 2-3 साल में टेंडर किया जाता हैं। मनपा में पहली बार पिछली दफे ऐसा टेंडर हुआ अर्थात अलग-अलग वाहनों का अलग-अलग दर।इनका भी टेंडर अवधि 12 फरवरी 2021में समाप्त हो गया।

टेंडर अवधि समाप्ति को ध्यान में रख कुछ वाहन मालिक सत्तापक्ष के संपर्क में गए और नया टेंडर जारी करने के बजाय पुराने वाहन चालकों को एक वर्ष का EXTENSION देने की मांग की। सत्तापक्ष ने संबंधित विभाग के मुखिया को EXTENSION का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया,यह प्रस्ताव उपायुक्त जैन के पास जाकर लौटी और संबंधित विभाग में पड़ी होने की जानकारी मिली हैं। इस बीच यह जानकारी मिली कि सभी वाहन चालक-मालक एकजुट होकर नया टेंडर न निकाला जाए,इसके लिए भरसक प्रयास कर रहे। इसके लिए नाना प्रकार के उदाहरण/समस्या भी दर्शा रहे।

उल्लेखनीय यह हैं कि संबंधित विभाग के सूत्रों के अनुसार मनपा में चल रही किराए के सभी कार के कागजातों की कभी जांच नहीं की गई,बताया जा रहा कि अधिकांश कारों के कागजात UPDATED नहीं हैं। अर्थात मनपा की लापरवाही के दौरान किसी गाड़ी का दुर्घटना हुआ तो नुकसान भरपाई नहीं मिलेगी और दुर्घटना की जिम्मेदारी मनपा पर भी मढ़ी जा सकती हैं। इस संदर्भ में एमओडीआई फाउंडेशन (MODI FOUNDATION) ने RTO से गंभीर दखल लेते हुए कड़क कार्रवाई की मांग की।
अब देखना यह हैं कि इस मामले में तथाकथित सत्तापक्ष संचलन करने वाला इस सम्बन्ध में बाजी मरता हैं या फिर प्रशासन को दखल लेना पड़ेगा।