Published On : Sat, May 25th, 2019

संपत्ति कर विभाग : अंधेर नगरी, चौपट राजा

Advertisement

सम्पत्तिकर बकाया वसूली के बजाय अधिकारी वर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेल रहे, इस वर्ष भी टार्गेट अधूरा रहना तय

नागपुर: मनपा का आय का मुख्य स्त्रोत संपत्ति कर हैं.प्रशासन और सत्तापक्ष को इसकी जानकारी रहने के बावजूद विभाग के लिए सक्षम और मूल अधिकारी नहीं देने या रखने के कारण वसूली चौपट हो गई,जिसके कारण मनपा की पिछले २ वर्षों से आर्थिक स्थिति जर्जर हो चुकी हैं.इसका भरपूर फायदा उठाकर विभाग में तैनात बाहरी और शहर की कुल सम्पत्तियों के हिसाब से अल्प कर्मी मजे काट रहे.विभाग के अधिकारी/कर्मी ‘फील्ड’ पर मेहनत कर वसूली लाने के बजाय अपने कार्यालय में कुंडली मार मनपा के छाती पर सवार होकर ‘मुंग दर’ रहे.
वजह साफ़ हैं कि मनपा में तैनात प्रथम १० दिग्गज अधिकारियों में से इक्के-दुक्के स्थानीय हैं,शेष बाहरी होने के कारण शहर की वास्तु स्थिति से अनभिज्ञ हैं.जिसका भरपूर फायदा मनपा के वार्ड अधिकारी उठा रहे,क्यूंकि वे एकजुट हैं,इसलिए इनके दबाव/प्रभाव से कुछ मुख्यालय के शीर्ष पदों पर तैनात होकर मनपा के मूल/ पदोन्नत होकर बने अधिकारी को छीनते जा रहे.

उल्लेखनीय यह हैं कि वार्ड अधिकारियों की नियुक्ति जोन के प्रमुख पद के लिए ही हुई थी,वहीं व उसी पद पर सेवानिवृत्त होना था,क्यूंकि इनकी नियुक्ति ‘नॉन टेक्निकल’ पद पर हुई थी,लेकिन अपने एकजुटता से मलाईदार ‘टेक्निकल या अन्य पद’ आसानी से प्राप्त कर मनपा को चुना लगा रहे.इनकी ही वजह से कुछ जोन में वार्ड अधिकारी नहीं हैं,प्रशिक्षु राज्य सरकार के अधिकारियों से जोन प्रमुख का काम लिया जा रहा,इससे जोन और जनता काफी अड़चन में हैं.

मीडिया पर उंगलियां उठाते अधिकारी
संपत्ति कर विभाग के अधिकारी मीडिया की खबर पर उंगलियां उठाते अक्सर देखे गए कि वे उनसे बिना पुष्टि किये खबर प्रकाशित कर उन्हें अड़चन में ला देते हैं.ऐसे में जब संपत्ति कर विभाग के शीर्षस्थ अधिकारियों को विभाग के नकारात्मक रवैय्ये और मनपा को होने वाले नुकसान की जानकारी दी जाती हैं तो अधिकारी वर्ग सिरे से नज़रअंदाज करते देखे गए.सूचनाओं को हल्के में लेकर लाभार्थियों को सचेत करते देखें गए.

जबकि आलम यह हैं कि मनपा के तंग हाल का जिम्मेदारी संपत्ति कर विभाग की हैं.विभाग में अल्प अधिकारी/कर्मी और ठेके पर तैनात कंपनी साइबरटेक सह हैदराबाद की एक अन्य कंपनी कार्यालय में ही ‘काला-पीला’ करने में मदमस्त दिखी।पिछले कुछ वर्षो से विभाग में अन्य विभाग के अनभिज्ञ अधिकारी/कर्मी कुंडली मार कर बैठे तो हैं ही और कार्यालय तक पहुँचने वाले करदाताओं को नचा रहे हैं.

ठेकेदारों के हमदर्द हैं सम्पत्तिकर विभाग
एक के बजाय दो-दो ठेकेदार कंपनी संपत्ति कर सर्वेक्षण,अंकेक्षण,बिल निर्माण,त्रुटियाँ सुधार के लिए तैनात की गई,करोड़ों में निविदा काल पूर्ण होने के बाद काम लेकर भुगतान किया जा रहा.इसके बावजूद अनगिनत त्रुटियाँ रोजाना निकल रही.बावजूद इसके विभाग प्रमुख आदि जनता रूपी करदाताओं को दोषी ठहरा रहे और ठेकेदार कंपनी को सहला रहे.

जागरूक नागरिक की सूचना को मजाक में ले रहे
कुछेक जागरूक नागरिकों ने विभाग प्रमुख को पिछले सालभर से सूचनाएं देते आ रहे.ताकि मनपा का बकाया वसूली हो और आर्थिक स्थिति में सुधार हो.लेकिन विभाग प्रमुख प्रत्येक बार टालमटोल करते रहे,इस सन्दर्भ में मनपा स्थाई समिति सभापति ने भी ध्यानाकर्षण करवाया,उसे भी नज़र अंदाज करते देखे गए.

जिम्मेदारी एक-दूसरे पर धकेल रहे
विभाग प्रमुख ने दो दिन पूर्व यह कहा कि कुछ वर्ष पहले संपत्ति कर विभाग की जिम्मेदारियां बांट दी गई थी,इसलिए यह जिम्मेदारी सम्बंधित ज़ोन के वार्ड अधिकारी की हैं,वे ही निर्णय लेंगे।इसके अलावा मंगलवारी ज़ोन से सम्बंधित २ जानकारियां इन्हें दी गई,उसे भी सिरे से नज़रअंदाज कर दिया गया.लेकिन जब कोई प्रभावी जनप्रतिनिधि इनके संपर्क में आता हैं तो उन्हें ‘रेड कार्पेट’ सुविधा दी जाती हैं,यह विडम्बना नहीं तो और क्या हैं.

टार्गेट ५०% पार होंगा,नहीं होंगा पूरा
विभाग की अड़ियल रवैय्ये के कारण,डिमांड तैयार करने में देरी,कर्मियों की कमी,फील्ड पर काम करने वाले अधिकारियों की कमतरता,ठेकेदारों से कड़ाई से काम लेने में लापरवाही,जागरूक नागरिकों को हतोत्साहित करने से वर्ष २०१९-२० हेतु विभाग का ५०० करोड़ से अधिक का टारगेट इस वर्ष भी अधूरा रह जाएगा।

इस अड़चन से निजात पाने के लिए मनपा प्रशासन ने विभाग में ३ वर्ष से अधिक समय से कुंडली मार बैठे अधिकारियों/कर्मियों को अन्य विभाग में बदली कर उनकी जगह विभाग के मूल कर्मियों को विभाग में बिना किसी हस्तक्षेप के वापस लाना और जरुरत पड़ने पर सक्षमों की अस्थाई नियुक्ति अविलम्ब करनी जरुरी हैं.