सवांदाता / अमृत दंडवते
सिंदेवाही (चंद्रपुर)। स्वर्ग में इंद्र, केंद्र में नरेंद्र, राज्य में देवेन्द्र!! इस प्रकार की तिकड़ी कालांतर में उभर कर सामने आई है. अब जनता के लिए बनाई गई योजनाएँ भी उन तक पहुँच जाएं तो यह तिकड़ी सार्थक सिद्ध हो होगी, ऐसी आम धारणा लोगों में बन रही है. आओ जी, साव जी, मलाई दबा के खाओ जी.… ऐसी परिस्तिथियाँ न बन जाए, वरिष्ठों को ध्यान देना होगा. जनता को किन रास्तों से फ़ायदा होगा, नेता उन रास्तों को तलाश कर समस्याओं का निदान ढूंढ़ना होगा.
सिंदेवाही की शांतिप्रिय जनता की समस्या एक मात्र ‘सिंदेवाही शहर का विकास’ ही है. क्योंकि पिछले कई वर्षों से जिस गति से विकास की उम्मीद थी, उसके अनुरूप नहीं हो पाई है. आम जनता फिलहाल के विकास से असंतुष्ट होकर नई विकास की धारा बहने की रह तक रही है क्योंकि यहाँ अब तक कोई औधोगिक ईकाई की स्थापना नहीं की गई है, जिससे बेरोज़गारों की फ़ौज़ जमा हो गई है. वे असंतुष्ट होकर पलायन करने में भलाई समझ रहे हैं. सिंदेवाही चंद्रपुर-ब्रह्मपुरी के बीच स्थित है. यहाँ की एक समस्या बस स्थानक की भी है, जो काफी अर्सों से मांग की जा रही है, जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. क्या ये समस्या भी निकटवर्ती दिनों में सुलझेगी.
यहाँ की दूसरी अति महत्वपूर्ण मांग कृषि विद्यापीठ की थी, जिस पर अब तक कोई हलचल नहीं दिखी. सिंदेवाही में प्राकृतिक संसाधनों के रूप में बहुत बड़ा जंगल उपलब्ध है. जहाँ बांस प्रचुर मात्र में पाया जाता है, जिसके लिए प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता है. चंद्रपुर-ब्रह्मपुरी के मुख्य मार्ग पर बाज़ार लगता है जिससे दुर्घटनाएं होने की सम्भावना बनी रहती है. इसकी व्यवस्था अन्यत्र करने की आवश्यकता है. इन सबके अलावा अनेक छोटी-बड़ी समस्याओं से सिंदेवाही शहर जूझ रहा है, जिनका समाधान व शहर के विकास की राह जनता तक रही है. अब नई भाजपा सरकार सिंदेवाही का कायापलट कब तक कर पाएगी, यही सबसे बड़ा सवाल जनता नवनिर्वाचित विधायक व राज्य के मुख्यमंत्री से कर रही है.
