गडचिरोली/नागपुर: कुख़्यात नक्सली पहाड़ सिंग ने आत्मसमर्पण कर दिया है। पहाड़ सिंग पर लगभग एक करोड़ का ईनाम था और वह महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में नक्सली वारदातों में वर्षो से सक्रीय था। मूलतः महाराष्ट्र की सीमा से सटे राजनांदगांव का रहने वाला पहाड़ सिंग कई नक्सली वारदातों में शामिल रहा। कई वारदातों में उसने टीम लीडर की भूमिका भी निभाई थी। महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की स्पेशल जोनल कमिटी के सदस्य पहाड़ सिंग ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेंज के आईजी जी पी सिंह के सामने आत्मसमर्पण किया।
पहाड़ सिंग पर तीनों राज्यों में लगभग 80 मामले दर्ज है। जिसकी महाराष्ट्र पुलिस को लंबे समय से तलाश थी। राज्य सरकार ने उस पर 16 लाख रूपए का ईनाम भी घोषित कर रखा था। उसने प्रमुख तौर पर चुनाव के दौरान होने वाली वारदातों में हिस्सा लिया था। नक्सलवादियों के चुनाव के दौरान किये गए हमलों की वजह से कई बार चुनाव अभियान प्रभावित भी हो चुके है। पहाड़ सिंग नक्सल आंदोलन में रहने के बावजूद शौकिया जिंदगी जीने के लिए जाना जाता था और उसके साथ सुरक्षा में हमेशा 3 बंदूखधारी नक्सली हमेशा लगे रहते थे।
तीन राज्यों में कई वारदातों को अंजाम देने वाले कुख़्यात नक्सली पर महाराष्ट्र सरकार ने 16 लाख जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ने 25-25 लाख का ईनाम घोषित कर रखा था। पहाड़ सिंग के नक्सली बनने की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहाड़ सिंग को राजनीति में ख़ासी दिलचस्पी थी। राजनांदगांव के झुरिया गाँव के निवासी पहाड़ सिंग की पत्नी 2002-03 में सरपंच रह चुकी है। लेकिन उसकी पत्नी के ख़िलाफ़ उसके अपने दोस्तों ने ही अविश्वाश प्रस्ताव लाया था। इसी का बदला लेने के लिए वो नक्सली बना लेकिन देखते ही देखते नक्सली आंदोलन में उसकी सक्रियता ने उसे कुख़्यात नक्सली बना दिया। महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में ही उसके ख़िलाफ़ लगभग 40 मामले दर्ज है।