Published On : Sun, Aug 12th, 2018

राफेल डील पर कांग्रेस का हमला, देश की नहीं अपने हितों को साधने में लगी है मोदी सरकार

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NAGPUR: फ्रांस से 36 राफेल खरीदने के 2015 के सौदे को लेकर केंद्र को निशाना बनाते हुए विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर राष्ट्रहित की अनदेखी करने और अपने हितों की पूर्ति करने का आरोप लगाया.

कांग्रेस ने दसाल्ट एविएशन की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट और अनुबंध के तहत उसके ‘ऑफसेट’ दायित्वों को पूरा करने के लिए चुने गये स्थानीय साझेदार रिलायंस डिफेंस लिमिटेड की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘अतिरिक्त भुगतान’ कर पेरिस में ‘पहले से तैयार’ लड़ाकू विमानों को खरीदने की घोषणा की.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा, ‘‘राफेल एक घोटाला है और सरकार घोटाले में फंस गयी है. भारतीय ठगा सा महसूस करते हैं जबकि भाजपा ने सुनिश्चित किया कि साठगांठ वाला पूंजीवाद फले-फूले. हमारे यहां एक ऐसी मोदी सरकार है जो भारत के हितों की रक्षा के बजाय अपने हितों की रक्षा करने में जुटी है.’’ चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने पेरिस में 10 अप्रैल, 2015 को 7.5 अरब यूरो (1670.70 करोड़ रुपये) प्रति राफेल की दर से 36 (पहले से तैयार) राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की. इस प्रकार 36 राफेलों का कुल मूल्य 60,145 करोड़ रुपये है.’’
भारत ने उड़ान भरने के लिए बिल्कुल तैयार 36 राफेल लड़ाकू जेटों के लिए फ्रांस के साथ सरकार से सरकार के बीच सौदा किया था. सत्तारुढ़ भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर विश्वास किया जाना चाहिए.

शाह ने कहा कि सीतारमण ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा तय राफेल लड़ाकू जेटों की आधार कीमत पिछली संप्रग सरकार द्वारा आधार मूल्य से कम है. लेकिन कांग्रेस नेता ने कहा कि जब 12 दिसंबर, 2012 को राफेल जेटों के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा खुली थी तब 126 विमानों के लिए संप्रग सरकार द्वारा तय कीमत 526.10 करोड़ रुपये प्रति राफेल थी. संप्रग के सौदे के अनुसार 36 राफेल विमानों की कीमत 18,940 करोड़ रुपये होती.

चतुर्वेदी ने इस बात पर सफाई मांगी कि क्यों 41,205 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सरकारी धन जेटों पर खर्च किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि 2015 में इस सौदे की घोषणा कर मोदी ने अनिवार्य ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का उल्लंघन किया. उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री संसद के समक्ष इस वाणिज्यक खरीद मूल्य का ब्योरा देने में क्यों अनिच्छुक हैं. उधर, सरकार कह चुकी है कि भारत और फ्रांस के बीच 2008 के समझौते का गोपनीयता उपबंध उसे राफेल लड़ाकू जेटों की खरीद में मूल्य निर्धारण का ब्योरा देने से रोकता है.