Published On : Thu, Oct 11th, 2018

9 वर्ष से चल रही बिजली चोरी

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नागपुर: बिजली चोरों के खिलाफ जारी कार्रवाई के तहत एसएनडीएल ने एक मकान में 2009 से जारी बिजली चोरी पकड़ने में सफलता दर्ज की. मोमिनपुरा के सैफीनगर में स्थित इस 4 मंजिला बिल्डिंग में 28 से 30 कमरे हैं. अन्य बिजली चोरों की ही तरह इस उपभोक्ता ने भी लंबे समय से एसएनडीएल (और पूर्व में महावितरण को भी) धोखे में रखा हुआ था जिसका खुलासा बुधवार को दी गई दबिश में हुआ.

एसएनडीएल के उपभोक्ता मोहम्मद आमिर का पुश्तैनी मकान सैफीनगर में स्थित है. इनके पुश्तैनी मकान प्लाट नं. 776 पर स्थित है जो चार-मंजिला इमारत है जिसमें लगभग 30 कमरे हैं. इसी प्लाट की तल मंजिल पर कभी बुनाई का कारखाना भी हुआ करता था, जिसके मालिक भी यही थे. उस समय का लिया हुआ औद्योगिक कनेक्शन अब तक लगा हुआ था, जबकि बुनाई का व्यवसाय बंद हुए लगभग 4 वर्ष हो चुका है. ज्ञात हो कि बुनाई आदि हेतु विशेष दरें लागू होती हैं जिसमें सब्सिडी मिलती है. इसके अतिरिक्त यहां 5 अन्य मीटर भी लगे हुए हैं जो वहां के अलग-अलग किराएदारों आदि के नाम पर हैं.

नहीं किया था बिल का भुगतान
लंबे समय तक बिल का भुगतान न करने के कारण 2009 में महावितरण ने एक मीटर को स्थाई रूप से डिस्कनेक्ट कर दिया था. उसके बाद से लंबे समय तक यह उपभोक्ता पोल से सीधे तार जोड़कर (डायरेक्ट) बिजली का उपयोग कर रहा था. इस वर्ष की शुरुआत में एसएनडीएल द्वारा पुलिस के सहयोग से इस परिसर पर एक कार्रवाई की गई थी, जिसमें सीधे तार जोड़ने के लिए 5.72 लाख रुपये का दंड निर्धारित किया गया था.

उपभोक्ता ने दंड नहीं भरा. इसके बाद एसएनडीएल द्वारा अनेक बार तार निकालने एवं दंडात्मक कार्रवाई हेतु नोटिस भेजे जाने के बावजूद हर बार तार डायरेक्ट डाल दिए जाने से फ्रेंचाइजी की टीम को परेशानियां झेलनी पड़ी. साथ ही इस परिसर को विद्युत आपूर्ति दे रहे ट्रांसफार्मर पर अत्याधिक बिजली हानि (लगभग 51%) का भी बोझ था.

अंततः पुलिस संरक्षण में इस बार एसएनडीएल के दक्षता पथक ने पूरे परिसर के मीटरों की पुनः जांच की और पाया कि अन्य 3 में से 2 मीटर में पहले ही तार को काट कर सप्लाई की व्यवस्था की गई थी. इन दोनों मीटरों से जुड़े परिसर के हिस्से पर लगभग 17 किलोवॉट का लोड है. इसके साथ ही बगैर किसी उद्योग के एक औद्योगिक मीटर कनेक्शन चालू है जिसे अब डिस्कनेक्ट कर दिया गया है. इस औद्योगिक कनेक्शन पर लगभग 9 किलोवॉट लोड था. इन नए प्रकरणों में भी कुल मिलाकर लगभग रु. 3 लाख का दंड वसूला जाना है.