Published On : Sat, Jul 11th, 2020

जनसंख्या है ऐसी विपत्ति, जो करती हर ओर विनाश की उत्पत्ति -डॉ. प्रीतम गेडाम

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विश्व जनसंख्या दिवस विशेष – 11 जुलाई 2020

नागपुर: आज हम प्रदूषित वातावरण में जीने के लिए बेबस हैं। मानव की जरूरतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन हमारे पास बहुत कम संसाधन और सुविधाएँ बची हैं। आज देश मे कोरोना को नियंत्रण करने मे भी यह भयंकर जनसंख्या रूकावट बन रही है। प्रदूषण, खाद्य अपमिश्रण, ग्लोबल वार्मिंग, खतरनाक ई-कचरा, प्रदूषित वायु-जल, उपजाऊ खेत की कमी, प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, वनों की कटाई, जंगलों का विनाश, वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच बढ़ते टकराव, बढ़ती ईंधन की खपत, कभी अकाल कभी बाढ़, बढ़ते कंक्रीट के जंगल, बेरोज़गारी, भुखमरी, महँगाई, जिंदगी के लिए संघर्ष और बढ़ती गंभीर बीमारियाँ इन सभी समस्याओं का एकमात्र कारण बढ़ती जनसंख्या है। बढ़ती आबादी की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप निम्न जीवनशैली होती है।

माना कि हमारा देश सबसे बड़े युवाओं का देश है, लेकिन जब तक देश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, रोज़गार, विकास के अवसर और समाज के सभी वर्गों की आवश्यकताओं को पुरा नहीं किया जाएगा, तब तक यह आबादी देश के लिए परेशानी का कारण बनी रहेंगी। अभी, कोरोना काल में, जैसे ही देश में लॉकडाउन हुआ, लाखों लोगों को भूखा रहने की बारी आयी, लाखों लोग बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं हजारों किलोमीटर अपने गाँव पलायन करने लगे, हर गली, गाँव, और शहर से असहाय लोगों की दर्दनाक कहानियाँ देखने-सुनने मिली। गरीब लोगों के पास सप्ताह भर घर बैठकर खाने के लिए भी पैसा नहीं रहा, हम सभी ने देखा कि देश की आर्थिक स्थिति कितनी खराब हो गई, यहां तक कि सरकार द्वारा राजस्व जुटाने के लिए शराब के ठेके खोले गए।

देश की हालत बहुत गंभीर है: –
आज लगभग सभी देश बढ़ती जनसंख्या की समस्या से पीड़ित हैं। लेकिन हमारे देश में यह समस्या बेहद गंभीर है क्योंकि दुनिया की 17.87 प्रतिशत आबादी केवल 2.4 प्रतिशत के क्षेत्र में 4 प्रतिशत जल संसाधनों के साथ देश में रहती है। अगले पांच वर्षों में, भारत दुनिया की आबादी की सूची में सबसे ऊपर होगा। इतनी बड़ी आबादी की जरूरत कैसे पूरी होगी? जब जरूरतें आसानी से पूरी नहीं होती हैं, तो ये जरूरतें नई समस्याओं को जन्म देती हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 के अनुसार, भूख और कुपोषण की सूची में 117 देशों में से, भारत 30.3 अंकों के साथ 102 वें (गंभीर श्रेणी) स्थान पर है। इनमें चीन (25), श्रीलंका (66), नेपाल (73), बांग्लादेश (88), पाकिस्तान (94) इन देशों से भी भारत देश पिछड़ गयाहैं, यह बहुत गंभीर मामला है। आईएमएफ़ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया के शीर्ष 200 देशों में से 126 वें रैंक पर है। देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई चौड़ी हो रही है। ब्रिटेन के चैरिटी ऑक्सफैम इंटरनेशनल के अनुसार, भारत आर्थिक विषमता को कम करने के मामले में दुनिया के शीर्ष 157 देशों में से 147 वें स्थान पर है।

बहुत बड़ी आबादी गरीबी में रहती है: –
देश की 75 प्रतिशत से अधिक आबादी आम तौर पर गरीबी या अत्यंत निम्न मध्यम वर्ग की है और वे छोटे रोज़गार, मजदूरी, भूमि के छोटे भूखंडों पर खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं। देश के कई हिस्सों में गरीबी की स्थिति बहुत गंभीर है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लोग भूख के कारण अपनी जान गँवा देते हैं। शिशुओं को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता। आज भी कुछ ग्रामीण सुदूर क्षेत्रों में बुनियादी सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, आज भी हमारे समाज के कई असहाय लोग, भिखारी, बीमार, विक्षिप्त लोग, असहाय बच्चे सड़कों पर कूड़े में, खराब भोजन के ढेर में खाना चुनते नजर आते है, यह हमारे लिए बडी शर्म की बात है। देश में बेरोज़गारी ने आत्महत्या और अपराध में तेजी से वृद्धि की है। जनसंख्या वृद्धि के कारण मलिन बस्तियों, अशिक्षा, गरीबी, अपर्याप्त पोषण, उचित परवरिश की कमी, आर्थिक असमानता जैसी गंभीर समस्याएं हैं, ऐसी खराब परिस्थितियों में बच्चों के जीवन का संघर्ष बचपन से ही शुरू हो जाता है।

सिर्फ दो महीने के लॉकडाउन में, देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होकर ढह गई, इसके लिए आबादी सबसे बड़ी समस्या है। कमाई कम और खर्चे ज्यादा है। वर्षों से, देश और राज्य पर विदेशी ऋण का बोझ लगातार बढ़ रहा है। आज अगर देश की जनसंख्या नियंत्रण में होती, तो देश का विकास विकसित देशों की तरह होता। अधिक जनसंख्या यानी अधिक जरूरतें और विकास में बाधाएं। फिर ऐसी स्थिति में देश कैसे विकसित हो?

दुनिया की बढ़ती आबादी के बारे में कुछ आश्चर्यजनक आँकड़े : –
आज विश्व जनसंख्या दिवस, वल्र्डओमिटर के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 7,796,399,619 है। एशिया महाद्वीप की जनसंख्या 4,641,899,879 है जो पूरे महाद्वीप में सबसे अधिक है यानी दुनिया की आबादी का एक तिहाई हिस्सा एशिया का है। हमारी पृथ्वी पर मानव जन्म प्रति मिनट लगभग 155 लोगों की वृद्धि के साथ बढ़ता है। जनसंख्या एक दिन में लगभग 2.25 लाख हो जाती है। विश्व की जनसंख्या 1804 में 1 अरब थी, फिर 1930 में 2 अरब, 1960 में 3 अरब, 1974 में 4 अरब, 1987 में 5 अरब, 1999 में 6 अरब, 2011 में 7 अरब, 2023 में 8 अरब, 2037 में 9 अरब, 2055 तक, दुनिया की आबादी 10 अरब होगी। पिछले 40 वर्षों में, यानी 1959-1999 में, जनसंख्या 3 अरब से बढ़कर 6 अरब हो गई। जनसंख्या प्रति वर्ष औसतन 1.10 प्रतिशत की दर से बढ़ती है। (2019 में 1.07 प्रतिशत से बढ़ी, 2018 में 1.09 प्रतिशत, 2017 में 1.12 प्रतिशत, 2016 में 1.14 प्रतिशत) दुनिया की आबादी हर साल लगभग 8.30 करोड़ बढ़ती है। गरीबी, भूख, दुर्घटनाओं, प्रदूषण और बीमारी से होने वाली मौतों की अधिक संख्या के बावजूद, जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। दुनिया में सबसे बड़ी आबादी 31.5 प्रतिशत ईसाई समुदाय है और दूसरी सबसे बड़ी आबादी 23.2 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय है। हिंदू समुदाय 15 फीसदी है और बौद्ध समुदाय 7 फीसदी है।

देश की जनसंख्या के बारे में कुछ आश्चर्यजनक आँकड़े : –
आज, 2020 में, हमारे देश की जनसंख्या में लगभग 28.5 लोग प्रति मिनट और प्रति दिन 41,040 बढ़ रहे है। एक महीने में जनसंख्या लगभग 12,31,200 और एक साल में 1,47,74,400 हो जाती है। आजादी के बाद से भारत की जनसंख्या चौगुनी से अधिक हो गई है। जनसंख्या के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। 2025 तक, भारत की जनसंख्या दुनिया में नंबर एक होगी, आज देश में यह जनसंख्या वृद्धिदर 0.99 प्रतिशत से बढ़ रही है जबकि चीन की वृद्धिदर 0.43 प्रतिशत है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, आज भारत की जनसंख्या 1,380,004,385 है। देश में औसत मध्यम आयु 28.4 वर्ष है। मुंबई अपनी बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी जनसंख्या घनत्व 32,400/प्रति वर्ग किलोमीटर है। अधिकांश बड़े महानगरों का हाल ऐसा ही है, जबकि देश की जनसंख्या घनत्व 464 / वर्ग किमी है, घनत्व के आंकड़े समय के साथ बढ़ते रहेंगे। चीन का जनसंख्या घनत्व 153 / प्रति वर्ग किलोमीटर है। आज देश की 35 फीसदी आबादी शहरी है और 2050 तक 53.5 फीसदी आबादी शहरी होगी तब जनसंख्या का घनत्व 558 / वर्ग किमी होगा। यूथ इन इंडिया, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, 1971 से 2011 के बीच युवाओं की वृद्धि 16.8 करोड़ से बढ़कर 42.2 करोड़ हो गई।

बढ़ती जनसंख्या एक समस्या है जो सैकड़ों अन्य समस्याओं की जड़ में है। भविष्य में, भोजन, अनाज, स्वच्छ पानी, स्वच्छ हवा की कमी के कारण पृथ्वी पर मानव जीवन बेहद कठिन और दर्दनाक होगा। प्राकृतिक संसाधन दुर्लभ होने पर मनुष्य जीवित नहीं रह पाएगा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े फैसले लेना और मजबूत कानून बनाना जरूरी हो गया है, जो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। यदि जनसंख्या के बढ़ते विस्फोट को नियंत्रण में लाया जाए तो ही पृथ्वी पर जीवन सुंदर होगा, और मनुष्य पृथ्वी पर जीवित रहेगा।

डॉ. प्रीतम भि. गेडाम
मो. न. 82374 17041
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