नागपुर: शहर में जगह-जगह लगे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को जन्मदिन की शुभकामना देने वाले भाजपा के होर्डिंग्स से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गायब हैं. स्वाभाविक ही यह जानने की जिज्ञासा तो होगी कि भाजपा में सब ठीक तो है न? क्योंकि इन्हीं होर्डिंग्स में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी एवं मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस प्रमुखता से उपस्थित हैं.
भाजपा के स्थानीय नेतृत्व जैसे सुधाकर कोहले, संदीप गवई के साथ महापौर प्रवीण दटके एवं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले भी किसी तरह से होर्डिंग्स में जगह बनाने में कामयाब रहे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिलकुल ही जगह नहीं दी गई है.
२०१४ का आम चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने ‘अबकि बार मोदी सरकार’ के नारे पर लड़ा था. प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी नरेन्द्र मोदी प्रमुख चेहरा थे. माना तो यह जा रहा था कि स्थानीय निकाय के चुनाव में भी भाजपा अपने तारणहार चेहरे यानी नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही लड़ेगी.
पर ऐसा नहीं हो रहा है, हाल ही नागपुर महानगर पालिका चुनाव के लिए तैयार भाजपा के पोस्टरों से भी नरेन्द्र मोदी का चेहरा गायब रखा गया है. क्या यह भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी की वजह से हो रहा है?
उल्लेखनीय है की नोटबंदी के बाद से भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आम आदमी के निशाने पर हैं. शीतसत्र के दौरान नोटबंदी को जायज ठहराने के लिए भाजपा की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन शहर में किया गया था, जिसमें लघु-मध्यम-बड़े उद्यमी, किसान एवं मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करते लोग उपस्थित थे. प्रदेश के वित्तमंत्री नोटबंदी के औचित्य समझाना चाह रहे थे कि तभी उन्हें ‘शर्म करो-शर्म करो’ के नारे सुनाई दिए.
वे अपने ही लोगों की इस प्रतिक्रिया से स्तब्ध थे. उसी कार्यक्रम के मंच पर शिवसेना की नेता नीलम गोरहे भी उपस्थित थी, उन्होंने भी तीखे स्वर में नोटबंदी की यह कहते हुए आलोचना की थी कि सरकार के जिस कदम से आम लोगों को इतनी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है, उसे जायज कैसे ठहराया जा सकता है!
भाजपा का स्थानीय नेतृत्व नहीं चाहता है कि आम लोगों की नाराजगी का खामियाजा उसे महानगर पालिका चुनाव में भुगतना पड़े, कहा जा रहा है इसलिए फ़िलहाल अपने पोस्टरों और होर्डिंग्स से नरेन्द्र मोदी को गायब कर भाजपा आम लोगों की प्रतिक्रिया का आकलन कर रही है.