स्वच्छता अभियान को तिलांजलि दे रहे स्वास्थ्य विभाग के स्थाई-अस्थाई कर्मी
– प्रशासन की दूरदृष्टि का आभाव,पदाधिकारियों का स्वप्न भंग के आसार प्रबल
नागपुर: एक तरफ मनपा पदाधिकारी व आला अधिकारी स्वच्छ भारत अभियान के तहत शुरू स्पर्धा में नागपुर शहर का स्थान श्रेष्ठ १० शहरों में करने के लिए आतुर हैं तो दूसरी ओर जोन स्तर पर स्थाई-अस्थाई कर्मी अपने रोजमर्रा की जिम्मेदारी न निभाने के कारण गुणवत्तापूर्ण शहर की सफाई नहीं हो पा रही.अर्थात ऐसा ही आलम रहा तो आला पदाधिकारी-अधिकारियों का स्वप्न भंग हो सकता हैं.
याद रहे कि मनपा में सबसे ज्यादा स्थाई-अस्थाई और ठेकेदारी पद्धत के तहत स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कर्मी तैनात हैं.विभाग के सूत्रों के अनुसार इनमें से अधिकांश स्थाई-अस्थाई कर्मी सिर्फ हाजिरी लगाते हैं। काम इनमें से प्रत्येक ज़ोन अंतर्गत उंगलियों पर गिनने लायक करते हैं, शेष हाजिरी लगाकर निजी क्षेत्रों में कचरा संकलन की ठेकेदारी कर रहे।यह जानकारी हाजिरी रजिस्टर पर तैनात कर्मी से लेकर मुख्यालय के आयुक्त स्तर के अधिकारियों को मालूम हैं, कहीं न कहीं इनकी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन हैं तो कुछ इन मुफ्तखोर वेतन लाभ लेने वाले से मासिक लाभ प्राप्ति भी हैं। इस मामले याने हाजिरी घोटाला मनपा की बड़ी धांधलियों में से एक हैं। जिस पर चर्चा सह कार्रवाई के लिए कोई तैयार नहीं।
आलम यह हैं कि हजारी स्थानक पर हाजिरी लगाने और न लगाने सह हाजिरी लगाकर गायब होने के लिए बड़ी आर्थिक व्यवहार हो रहीं। कचरा उठाने,कचरा – गंदगी करने वालों से भी आर्थिक व्यवहार ही रही हैं.भवन निर्माता ने परिसर के नागरिकों के लिए गंदे मल-जल के लिए सेप्टिक टैंक बनाने हेतु राहत दिए जा रहे,भवन निर्माता अक्सर आसपास के छोटे-बड़े नालों में सीधे गन्दा पानी छोड़ रहे.नतीजा परिसर सह नाग-पोहरा-पीली नदी प्रदूषित हो रही.
शहर के मनपा जोन स्तर के स्वास्थ्य विभाग के चुनिंदा कर्मठ कर्मियों कर्मियों से या तो ज्यादा काम या फिर उन्हें निरंतर सताया जा रहा.जब तक सभी जोन के १०-२० साल से जमे सफाईकर्मियों,जमादारों,निरीक्षकों,जोनल स्वास्थ्य अधिकारियों का अन्य दूर दराज जोन में तबादला नहीं किया जाता,तब तक उक्त गोरखधंधा जारी रहेंगा।मनपा को वार्षिक आर्थिक चुना भी लगता रहेंगा और कितने भी सर पटक ले ठेकेदार एजेंसियों के सहारे नागपुर शहर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित स्वच्छ भारत स्पर्धा में पहले १० शहरों में नहीं आ सकता।अर्थात मनपा के दिग्गज पदाधिकारी-अधिकारी को उक्त बदलाव के बाद ही सफलता मिल सकती हैं.
उल्लेखनीय यह भी हैं कि शहर भर का कचरा संकलन करने वाली दोनों कंपनियों पर मनपा के सफेदपोशो द्वारा अपने-अपने करीबी की भर्ती का सतत दबाव भी जारी हैं.यह भी शहर के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं.