नागपुर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को बेरोजगारों को गारंटीशुदा रोजगार दिलाने वाला कानून कहा जाता था, लेकिन मनरेगा अब महाराष्ट्र में सतत आर्थिक संसाधन उत्पन्न करने वाली योजना के रूप में सामने आ रही है। मनरेगा आयुक्त शांतनु गोयल ने अपील की है कि ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से ग्रामीण किसानों, खेतिहर मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण और पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इसमें कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। रोजगार की गारंटी के साथ-साथ पिछले दो वर्षों में किसानों के खेतों में कुआं, खेत, चैक डैम, पशुशाला, सोख्ता गड्ढा, आंगनबाड़ी, गोदाम, निर्माण जैसे कार्य किये गये हैं, जिन्हें इस अधिनियम के तहत लाभ मिल सकता है।
पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में पशु शेड का निर्माण किया गया है। 2021-22 में 9657 शेड तथा 22-23 में 18879 शेड का निर्माण किया गया है। पशुओं के लिए बनाए गए इस कंक्रीट के गौशाला से आमदनी में इजाफा हुआ है। गौशालाओं के निर्माण से पशुओं के लिए खुली जगह, स्वच्छता, खाद का उत्पादन और डेयरी उद्योग में वृद्धि का प्रावधान हुआ है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
अपने ही खेत में कुआँ बनाने जैसा कोई आनंद नहीं है। महाराष्ट्र में इस योजना के तहत 2021-22 में 9452 और 2022-23 में 8309 कुओं का निर्माण किया गया है। फार्म बनाने में इस योजना से कई लोग लाभान्वित भी हुए हैं और 2021-22 में 1425 फार्म और 2022-23 में 1468 फार्म बनाए गए हैं।
पिछले दो वर्षों में बड़ी संख्या में नौकरियां प्रदान की गई हैं। इस योजना के माध्यम से 700 लाख मानव दिवस कार्य प्रदान किया गया है। मट्टा फॉर्मेशन के तहत 18 हजार पशु शेड बनाए गए हैं। इस योजना के माध्यम से 265 प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं।