नागपुर – शहर में भारी वाहनों की आवाजाही से उत्पन्न ट्रैफिक समस्या और दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से रिंग रोड का निर्माण किया गया था। इसके बाद सड़क किनारे बची शासकीय भूमि पर कई स्थानों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो गए। इन्हें हटाने की मांग को लेकर मंगला वाकोडे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में पर्याप्त तथ्य न पाते हुए याचिकाकर्ताओं को प्रत्येक को ₹25,000 चार सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया था। साथ ही चेतावनी दी गई थी कि यदि समय पर राशि जमा नहीं की गई तो महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता, 1966 के अंतर्गत वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
शुक्रवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से जुर्माने की राशि जमा करने के लिए अतिरिक्त 4 सप्ताह का समय मांगा गया, जिसे हाई कोर्ट ने “अंतिम अवसर” के रूप में मंजूर किया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यह राशि माफसू (महाराष्ट्र पशु वध प्रतिबंध व पशु संरक्षण संगठन) के खाते में जमा की जाए, और रजिस्ट्रार को इसका पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कार्रवाई पर जताया संतोष
पूर्व में हाई कोर्ट ने शताब्दी नगर चौक और आसपास रिंग रोड पर हुए अवैध निर्माण व अतिक्रमण को हटाने का आदेश प्रन्यास (नियोजन प्राधिकरण) को दिया था। कार्रवाई पूर्ण होने पर शुक्रवार को कोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया गया। अवलोकन के बाद कोर्ट ने सटीक कार्रवाई पर संतोष जताया।
हालांकि सुनवाई के दौरान मनपा और प्रन्यास की ओर से याचिकाकर्ताओं को समय विस्तार देने का विरोध किया गया था, फिर भी कोर्ट ने अंतिम अवसर के रूप में मोहलत प्रदान की।
कोर्ट ने यह आशा भी जताई कि माफसू के खाते में जमा की गई राशि का उपयोग पशु कल्याण और पशु स्वास्थ्य उपचार के लिए किया जाएगा।
याचिका पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
प्रन्यास की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता जनहित याचिका की आड़ में कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं और निजी हित साधने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि प्लॉट क्रमांक 23 और 24 को खुला छोड़ा जाए, तो याचिकाकर्ता को उनके पीछे स्थित भूखंडों के सामने का रास्ता मिल जाएगा। इसी उद्देश्य से यह याचिका दायर की गई है, जिसे राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश की गई है।