– विभाग के चपरासियों आदि पर दिखा रहे धौंस,ठग रहे ठेकेदारों को
नागपुर : नागपुर मनपा का विवादित विभाग PWD इनदिनों गर्मागर्म अजीब समस्या को लेकर चर्चे में बना हुआ हैं.वह इसलिए कि विभाग प्रमुख सह उनके खासमखास को एक विशेष प्रकार का शौक लग गया हैं,जिसे पूर्ति करने के लिए CLASS 4 के कर्मियों को बाबू/क्लर्क का काम दे दिया गया,नतीजा ये लाभार्थी विभाग के चपरासियों,विभाग से सम्बंधित ठेकेदारों का आर्थिक शोषण करने का मामला प्रकाश में आया हैं.
याद रहे कि विभाग से सम्बंधित CE,SE,EE,DEPUTY,JE,हैरी-पोर्टर आदि सीमेंट सड़क फेज-2 घोटाले,नोटिंग की फाइलों का जबरन पुनर्निरीक्षण,अवैध वसूली के लिए चुनिंदा फाइलों को लैब में भेजा,हॉटमिक्स से सम्बंधित सामग्री खरीदी में धांधली,हॉटमिक्स संचलन के लिए महंगे ईंधन डीजल का उपयोग करना आदि लिप्त होने के कारण चर्चे में हैं.इनमें से कुछ ठेकदारों के पेरोल पर भी हैं.विशेष कर CE सीमेंट सड़क फेज -2 घोटाले में खुलेआम आयुक्त के निर्देशों का उल्लंघन कर सम्बंधित ठेकेदार कंपनी DC GURBAKSHANI और उसका LEAD PARTNER M/S ASHWINI INFRA को बचा रही.
इसके बाद अब PWD विभाग का नया मामला सामने आया ,वह यह कि SE TALEWAR और उसके करीबी हैरी-पोर्टर विभाग के CLASS 4 कर्मियों पर विशेष रूप से मेहरबान हैं.इस मेहरबानी की वजह से इन्हें CLASS 3 /बाबू का काम दे दिया गया,अर्थात टेबल पर बैठ आर्डर देने का काम.
इसकी तह में जाने पर पता चला कि उक्त लाभार्थियों से उक्त तीनों को विशेष और अजीब प्रकार का लाभ हो रहा जो अन्य किसी से नहीं हो सकता।एक CLASS 3 के कर्मी का तबादला अन्य विभाग में होने के बाद भी उसे PWD में इसलिए कायम रखा गया,शायद ये भी वैसा ही लाभ उक्त तिकड़ी को मिल रहा.
नतीजा उक्त लाभार्थी अर्थात CLASS 4 और CLASS 3 कर्मी के साथ साथ ठेकेदारी पर तैनात कर्मी अपने टेबल से बैठ विभाग के चपरासियों के नाक में दम कर रखी हैं.इतना ही नहीं इन लाभार्थियों ने तो विभाग में आने वाले ठेकेदारों का आर्थिक शोषण कर रही हैं,इसके कई ठेकेदार शिकार हो चुके हैं और उन्हें वापिस करने के नाम पर CLASS 1 अधिकारी की भांति धौंस दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती।इसकी जानकारी उक्त तिकड़ी को होने के बावजूद अपने व्यक्तिगत लाभ के चलते नज़रअंदाज करते आ रहे.अगर ऐसा कि क्रम चलता रहा तो ठेकेदारों का शोषण के साथ अधिकारियों के व्यक्तिगत लाभ की नई परंपरा शुरू हो जाएगी।समय रहते उक्त मामला को आयुक्त या आयुक्त स्तर के अधिकारियों ने गंभीरता से लेनी चाहिए ,उक्त मांग एमओडीआई फाउंडेशन ने की हैं.