Published On : Thu, May 31st, 2018

पालघर उपचुनावः बाहरी या लोकल, कौन जीतेगा चुनाव, आज होगा फैसला

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नई दिल्ली: मुंबई से सटे पालघर लोकसभा का उपचुनाव वैसे तो सामान्य उपचुनावों की तरह ही है, लेकिन कर्नाटक में विपक्षी एकता का ‘शक्ति प्रदर्शन’ देखने के बाद यहां का चुनाव दिलचस्प हो गया है. चुनावी समर को और भी रोचक बनाने वाली जो बात है, वह है राजग गठबंधन की दो सहयोगी पार्टियों- भाजपा और शिवसेना के बीच की जंग. दरअसल, पालघर लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जिस राजेंद्र गावित को टिकट दिया है, वह गुजरात से सटे प्रदेश के नंदुरबार जिले के रहने वाले हैं. वहीं, शिवसेना ने यहां के भाजपा सांसद रहे चिंतामणि वनगा के बेटे श्रीकांत वनगा को ही अपने प्रत्याशी के रूप में उतारा है. ऐसे में मुकाबला बाहरी और लोकल उम्मीदवारों के बीच होगा.

आज जब ईवीएम के आंकड़े चुनाव के परिणाम देने शुरू करेंगे तभी पालघर के मतदाताओं का रुख पता चलेगा कि आखिर वे किसके पक्ष में गए हैं. पालघर उपचुनाव में भाजपा और शिवसेना के अलावा तीसरी पार्टी बहुजन विकास अघाड़ी भी है. इस लोकसभा क्षेत्र की कुल 6 विधानसभाओं में से 3 पर इस पार्टी का कब्जा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और शिवसेना के उम्मीदवारों को बहुजन विकास अघाड़ी का प्रत्याशी किस हद तक टक्कर देगा. वहीं, चुनावी रण में कांग्रेस भी ताल ठोक रही है. ऐसे में आज आने वाला फैसला महत्वपूर्ण है, जिस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

भाजपा लड़ रही है प्रतिष्ठा की लड़ाई
पालघर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और शिवसेना प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रही है. दरअसल, उपचुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका तब लगा, जब यहां के दिवंगत सांसद चिंतामणि वनगा के बेटे श्रीनिवास वनगा ने शिवसेना का दामन थाम लिया. भाजपा नेताओं की तरफ इसे विश्वासघात बताते हुए काफी बयानबाजी की गई. पालघर क्षेत्र में उत्तर भारतीयों की बड़ी तादाद को देखते हुए चुनाव प्रचार करने आए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिवसेना की तुलना अफजल खान से करते हुए पीठ पर छुरा घोंपने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा था कि शिवसेना की करतूत से बाला साहेब की आत्मा को ठेस पहुंची होगी. भाजपा ने इस क्षेत्र में प्रचार के लिए न सिर्फ योगी आदित्यनाथ, बल्कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, यूपी की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, भाजपा सांसद मनोज तिवारी की सभाएं कराईं. दरअसल, पालघर लोकसभा क्षेत्र की 4 विधानसभाओं में से 3 में उत्तर भारतीय मतदाताओं की बहुलता है. पूरे लोकसभा क्षेत्र के 17 लाख मतदाताओं में अकेले नालासोपारा में 4 लाख वोटर हैं. वहीं बसई, विरार बोईसर और पालघर में भी बड़ी तादाद में उत्तर भारतीय रहते हैं. पालघर में जिस तरह से शिवसेना ने भाजपा सांसद के बेटे को ही अपना उम्मीदवार बना लिया, उसे देखते हुए भाजपा किसी भी तरह का जोखिम मोल नहीं ले सकती थी. इसीलिए पार्टी ने उत्तर भारतीय नेताओं की पूरी पलटन उतार दी.

शिवसेना ने भाजपा को दिया झटका
यह पहला मौका है जब किसी उपचुनाव के बहाने राजग की दो सहयोगी पार्टियों के बीच चुनावी भिड़ंत हो रही है. पालघर लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना ने जिस तरह से भाजपा के दिवंगत सांसद के बेटे को अपने पक्ष में कर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर उतारा है, उससे यह उपचुनाव रोमांचक हो गया है. भाजपा के दिवंगत सांसद चिंतामणि वांगा के बेटे श्रीनिवास वांगा पालघर से शिवसेना के उम्मीदवार हैं. इस महीने के शुरुआती सप्ताह में ही उन्होंने भाजपा को छोड़कर शिवसेना का दामन थामा था. वांगा परिवार ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी उनकी अनदेखी कर रही है. भाजपा ने तत्काल इस आरोप का खंडन करते हुए वांगा परिवार को चुनाव का टिकट देने की घोषणा भी की, लेकिन श्रीनिवास नहीं माने. इससे भाजपा को बड़ा झटका लगा. महाराष्ट्र के कई मंत्री और भाजपा के नेता वांगा परिवार को मनाने भी गए, लेकिन बात नहीं बनी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक रूप से वांगा को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा, लेकिन बात तब भी नहीं बनी. अंततः श्रीनिवास ने शिवसेना की तरफ से नामांकन दाखिल कर सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया. बहरहाल, शिवसेना को उम्मीद है कि दिवंगत सांसद चिंतामणि वांगा के बेटे को पालघर उपचुनाव में सहानुभूति वोट मिलेंगे, जिसके आधार पर वह अपनी सहयोगी पार्टी को धूल चटा सकेगी.

पालघर में तीसरी पार्टी भी है अहम भूमिका में
पालघर उपचुनाव में भले ही भाजपा और शिवसेना के बीच की जंग ने चुनाव को रोमांचक बना दिया है, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र की आधी विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाए बैठी बहुजन समाज पार्टी, जिसे यहां बहुजन विकास अघाड़ी के नाम से जाना जाता है, को भी राजनीतिक विश्लेषक कमजोर नहीं आंक रहे हैं. पालघर के अघाड़ी नेताओं को उम्मीद है कि दो सहयोगी पार्टियों की भिड़ंत के बीच उनकी पार्टी को चुनावी फायदा मिलेगा. वैसे भी इस पार्टी के बलिराम जाधव 2009 में इस सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने दावेदारी की थी.

हालांकि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा-शिवसेना गठजोड़ और मोदी लहर के कारण चिंतामणि वांगा से वे 2 लाख से अधिक वोटों से हार गए थे. लेकिन उपचुनाव में जबकि भाजपा और शिवसेना एक साथ नहीं हैं, बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार को उम्मीद है कि जनता उन्हें चुनेगी. इसके अलावा पालघर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस-राकांपा और कम्युनिस्ट पार्टी ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस-राकांपा के उम्मीदवार दामोदर शिंगदा हैं. भाजपा के प्रत्याशी राजेंद्र गावित चूंकि पहले कांग्रेस में ही थे, इसलिए उपचुनाव में कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद है कि वह गावित के वोट काट सकेगी और उसके उम्मीदवार दामोदर शिंगदा को जीत मिलेगी.