Published On : Mon, Oct 23rd, 2017

महिलाओं को संगठित करना बहुत आवश्यक है – खैरकर

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नागपुर: डॉ बाबा साहेब आंबेडकर की दीक्षा भूमि नागपूर में एक ऐतिहासिक सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह सम्मलेन तीन दिन तक जारी रहेगा। 1942 अखिल भारतीय महिला क्रांति परिषद के नाम से इस सम्मेलन में पूरे देश से महिलाएं एकजुट हुईं। जिसमें महिलाओं के अधिकारों को लेकर चर्चा हुई। माधुरी गायधनी ने १९४२ की परिषद् के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1942 में हुए इस ऐतिहासिक सम्मेलन में पूरे देश से बहुजन समाज की 25 हजार महिला लीडर्स शामिल हुई थीं और इस सम्मेलन में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर भी मौजूद थे। सम्मेलन में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई थी, इसमें उनके अधिकारों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। तलाक, बहुविवाह और मजदूरों के अधिकारों को लेकर कानून बनाने की जोरदार मांग की गई थी। आज के इस 75वें ऐतिहासिक महिला क्रांतिकारी परिषद सम्मेलन की अध्यक्षता बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ मनीषा बांगर ने किया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर तमाम बड़ी हस्तियों ने शिरकत की। संविधान प्रास्तविक पुष्पा बौद्ध ने दिया।


मुख्य अतिथि के तौर पर राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड़ और सामाजिक कार्यकर्ता मंजुला प्रदीप मौजूद थे। लॉर्ड बुद्धा टेलीविशन नेटवर्क के संचालक भैयाजी खैरकर ने अपने प्रास्तविक भाषण में कहा कि सभी उपस्थित लोगो के मन में अच्छा काम करने का हौसला बढ़ाया और हर परेशानियों का हल खुद निकलने के लिए कहा। अगर सभी महिलाओ को बाबा साहब के प्रति लगाव है तो ठीक ढंग से संगठित होकर हम बाबा साहब के हर विचार को परिपूर्ण कर सकते हैं। कपड़े पहनने, घूमने फिरने, नौकरी करने की आजादी तो हर महिलाओं को मिल गई है लेकिन विचारों को व्यक्त करने की आजादी छीन ली गई। हमें विचार करने की आजादी की आवश्यकता है|

कार्यक्रम का उद्घाटन मंजुला प्रदीप, अहमदाबाद (सामाजिक कार्यकर्ता) द्वारा किया गया । मंजुला ने अपने भाषण में उपस्थिततों से सवाल करते हुए कहा कि ७५ साल में कितने बार कितने जगह पर दलितों का अपमान हुए लेकिन हममे से कितनों ने एक दूसरे का साथ दिया? इन ७५ सालों के आजाद देश में क्या हम सब एक हो पाए हैं ? अगर हमें बाबा साहब के हर विचार को हमेशा जीवित रखना है तो हम सबको एक साथ होना बहुत जरूरी है।

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इस देश को भगवाकरण क्यों बनाया जा रहा है यह देश लोकतंत्र का है। हर व्यक्ति को लगता है कि वह जागृत है तो फिर जागृति कहां गई है ? ज्योतिबा फुले, डॉ. बाबा साहब, सावित्रीबाई फुले इन सब के आदर्श को कहा खो दिया है सबने ? क्यों हम अपनी ताकत विभाजन करने में लगा रहे हैं जो बाबा साहेब का सपना नहीं था ? क्यों हम एक दूसरे के धर्म को हावी होने दे रहे हैं? इन सब प्रश्नों को सामने रखते हुए मंजुला ने सबको एक जुट होने की अपील की।

हैदराबाद की सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा बांगर ने इस दौरान सभी महिलाओं को ऐतिहासिक सच के बारे में बताया जिसमें शिक्षा, पहनावा, आजादी, जनसंख्या और महिलाओं के अधिकारों के बारे में कहा। यह लड़ाई सिर्फ आरक्षण की नहीं है बल्कि आजादी की है। सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक स्थितियों को बांगर ने सबके सामने बहुत सुन्दर एवं विस्तार पूर्वक प्रस्तुत किया।

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