नागपुर: मिहान (MIHAN) परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि मामले में विशेष कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चिंचभवन स्थित सर्वेक्षण क्रमांक 91/2/2 की 0.59 हेक्टेयर (5900 वर्ग मीटर) कृषि भूमि के लिए घोषित मुआवजा अपर्याप्त मानते हुए कोर्ट ने उसे बढ़ाकर 1,846 रुपये प्रति वर्ग मीटर के बाजार मूल्य के आधार पर देने का आदेश दिया है।
यह आदेश मिहान के लिए गठित विशेष न्यायालय के एडहॉक जिला न्यायाधीश-3 ए.पी. कुलकर्णी ने सुनाया। अग्रवाल परिवार द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया था कि 30 जून 2008 को घोषित मुआवजा राज्य सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा पर्याप्त नहीं दिया गया था।
कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 23(2) के अंतर्गत 30 प्रतिशत क्षतिपूर्ति और धारा 6(2) के तहत अधिसूचना की तिथि से पुरस्कार की तिथि तक 12% वार्षिक ब्याज देने के भी आदेश दिए हैं। हालांकि, वृक्षों आदि के लिए किए गए मुआवजे के दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
पृष्ठभूमि: आठ साल बाद घोषित हुआ अवार्ड
महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (MADC) के अधीक्षक अभियंता ने 30 नवंबर 2002 को मौजा चिंचभुवन से अंतरराष्ट्रीय कार्गो यात्री टर्मिनस और मल्टीमॉडल हब के लिए 146.67 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। 4 जनवरी 2002 को सरकार ने MADC को नोडल एजेंसी नियुक्त कर मुआवजा भुगतान का अधिकार भी दिया था। इसके बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई और विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने 30 जून 2008 को अवार्ड घोषित किया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिग्रहित भूमि अत्यधिक उपजाऊ थी, जहां हर वर्ष 3 से 4 फसलें ली जाती थीं। बावजूद इसके, भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने अवार्ड में इसे बंजर भूमि दर्शाया, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है। खेत की एक इंच भूमि भी अनुपजाऊ नहीं थी।
‘येलो बेल्ट’ भूमि को नजरअंदाज किया गया
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि 1989 में नागपुर सुधार ट्रस्ट द्वारा बनाई गई विकास योजना में एनआईटी ने इस भूमि को ‘येलो बेल्ट’ में दर्शाया था, जिससे यह स्पष्ट है कि भूमि में गैर-कृषि क्षमता है और वह आवासीय उपयोग के लिए उपयुक्त है।
इसके अतिरिक्त, अधिग्रहण की अधिसूचना से पहले पास की जमीन को 2.55 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से बेचा गया था। ऐसे में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनके मुआवजे का मूल्य 3.75 करोड़ रुपये प्रति एकड़ या 9.38 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तय किया जाना चाहिए था। इसके बावजूद, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने नजदीकी पटेल परिवार की बिक्री रजिस्ट्री जैसे अहम साक्ष्यों पर कोई विचार नहीं किया।