आयटक व अन्य मजदूर संगठनों ने मोर्चा निकाल जिलाधिकारी को सौंपा माँगों का ज्ञापन
वाशिम। 2005 से खारिज कर दिए गए मजदूर विरोधी विधेयक को मोदी सरकार पुन: मंजूरी देने की सोच रही है. उसके विरोध में असंगठित मजदूर संगठन की ओर से 5 दिसम्बर को जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा निकाल कर सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों का जमकर निषेध किया गया. इसमें हजारों की संख्या में मजदूर शामिल थे, जो नीतियों की खुलकर विरोध दर्शाया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2005 से केन्द्र में मजदूर विरोधी विधेयक को लागू करने की पर बल दिया जा रहा है. हालांकि इसे अस्विकार कर दिया गया है. इस विधेयक के मुताबिक एक संस्था में मजदूरों की संख्या 300 से कम होने पर मालिकों को मुक्त होंगे और 40 से कम कर्मचारी/मजदूर होने से उन्हें कोई कानून लागू करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इस प्रकार का विधेयक पास करने की मोदी सरकार फिराक में है.
इस मजदूर विरोधी नीति के विरोध में कामगारों की विभिन्न समस्याओं से पार पाने के लिए आयटक संगठन के बैनर तले 5 दिसम्बर को प्रमुख सचिव संजय मंडवधरे के नेतृत्व में भव्य मोर्चा निकालकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. निवेदन में मजदूरों को प्रति माह 15 हजार रुपये न्यूनतम वेतन देने, आंगनवाड़ी का निजीकरण न करने, ठेका मजदूरों व एप्रेंटिसों को न्यूनतम वेतन देने, महाराष्ट्र इमारती व अन्य निर्माण के मजदूर कल्याण मण्डल के सभी लाभ जिले के मजदूरों को देने, मजदूर कार्यालय में भरपूर कर्मचारी होने, कर्मचारियों की ऑनलाइन डाटा उपलब्ध हो, जिले के मजदूरों को सभी लाभ देने, सभी निर्माण मजदूरों का एक प्रतिशत उपकर वसूल कर उसका लाभ मजदूरों को देने, सरकार की विभिन्न कार्यों पर स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को काम देने, रोजगार हमी योजना में कुशल मजदूरों को काम देकर मजदूरी दर बढ़ाने, निर्माण कार्य मजदूरों को घर निर्माण के लिए 2 लाख व दुरुस्ती के लिए डेढ़ लाख आर्थिक सहायता देने सहित अन्य माँगों का जिक्र किया गया है.
इस अवसर पर आंगनवाड़ी संगठन के जिला कार्याध्यक्ष डिगांवर अंभोरे, जिलाध्यक्ष सविता इंगले, बांधकाम मजदूर संगठन के जिलाध्यक्ष शेख सईद शेख हमजा, घरेलू मजदूर संगठन के जिलाध्यक्ष निजय जाधव, महाराष्ट्र किसान सभा के कार्याध्यक्ष अजय वाकुडकर, ग्रा.पं. कर्मचारी संगठन के सतीश घोडचर, असंगठित निर्माण संगठन के जिला उपाध्यक्ष गजानन भगत मौजूद थे.