Published On : Tue, Dec 18th, 2018

ऋण के नाम पर किसान से बैंक खाता तो खुलवाया लेकिन कर्ज नहीं दिया

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आईसीआईसीआई व एचडीएफसी बैंक का कारनामा

नागपुर: आकाल ग्रस्त घोषित काटोल तहसील के किसान वैसे ही अपनी क़िस्मत को लेकर रोने पर मजबूर हैं, उस पर उनके ज़ख़्मों पर निजी बैंक नमक छिड़कने से बाज नहीं आ रहे हैं. कर्ज के नाम पर किसानों से बैंकों ने खाता तो खुलवा लिया लेकिन कर्ज की रकम उनके खातों में अब तक जमा नहीं कराई. यह घटना काटोल तहसील के किसानों के साथ हुई है.

काटोल तहसील को राज्य सरकार ने एक माह पूर्व अकालग्रस्त और नरखेड़ तहसील को आंशिक अकालग्रस्त घोषित किया है. ऐसी परिस्थिति से किसानों को उबरने के लिए सरकार ने पहले से क़र्ज़दार किसानों को अतिरिक्त कर्ज देने की सुविधा का ऐलान किया.

जिसे लेकर निजी बैंक जिन किसानों पर कर्ज नहीं है, ऐसे आवेदक किसानों को राष्ट्रीयकृत बैंक मामूली शर्तों अथवा शर्तों में शिथिलता कर उन्हें ऋण दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर आईसीआईसीआई बैंक और एसडीएफसी बैंक की काटोल शाखा ने किसानों को एकमुश्त कागजातों की मांग करने के बजाय एक-एक कर कागजातों की मांग करने के बाद तरह-तरह के बहाने बना कर कर्ज देने की प्रक्रिया रोके हुए है. माह भर बैंक के चक्कर काटने के बाद भी किसानों को ऋण के नाम पर फूटी-कौड़ी नहीं दी जा रही.

आईसीआईसीआई बैंक के काटोल शाखा के प्रतिनिधि ऋण के लिए आवेदक किसानों को बैंक की जायज शर्तों के अलावा यह भी निर्देश दे रहे हैं कि उनकी शाखा में जिस अड़तिया का चालू खाता ( करंट अकाउंट ) है, उन्हें ही खेती की उपज बेचनी होगी. आवेदक की सहमति के बाद फिर उन्हें खातेधारी अड़तिया से संपर्क कर सहमति पत्र लाने का निर्देश दिया जाता है. इसके बाद शाखा प्रबंधन अड़तिया के चालू खाता और आवेदक के खाते में हुए व्यवहार की जांच करने के बाद ऋण देने से मना कर देता है. ऐसे कई दर्जन मामले प्रकाश में आ रहे हैं.

जबकि उक्त दोनों निजी मल्टीनेशनल बैंक किसानों से खाता खोलने के लिए अनगिनत लोकलुभावन वादे करती है. जब किसानों को ऋण देने की नौबत आती है तो महीनों चक्कर खिलवाकर नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं. काटोल के किसानों में सेवारत प्रताप ताटे ने उक्त मल्टीनेशनल बैंक के विभागीय प्रबंधक सह प्रबंधन पर सीधा आरोप लगाया कि उनके सम्बंधित अधिकारियों को बैंक और सरकारी योजना सह सरकार के निर्देशों की अनभिज्ञता के कारण काटोल तहसील के किसानों से पिछले एक माह से खिलवाड़ का क्रम जारी हैं.

ताटे ने जिलाप्रशासन से इन बैंकों को किसानों को पेश आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए बैंक प्रबंधन की तत्काल बैठक लेकर सरकार के निर्देशों का पालन करने का निर्देश देने की अपील की.

उल्लेखनीय यह है कि किसान वर्ग एक से अधिक बैंक में खाता नहीं खोल सकते. जिन्होंने खोल भी लिया, उन्हें नियमित व्यवहार करने में अड़चन आ रही है. कुछ को जुर्माना भी भरना पड़ा. फ़िलहाल राष्ट्रीयकृत बैंक आसानी से कम शर्तों पर ऋण उन्हें ही दे रही जिनका खाता तो हैं और वे नियमित व्यवहार कर रहे हैं. ऐसे बैंक नए ऋण के लिए नए खाता खोलने वाले किसानों को तरजीह नहीं दे रही. उक्त समस्या से उलझे किसानों को मुक्ति दिवालने की मांग ताटे ने जिलाधिकारी आश्विन मुद्गल से तथा राज्य के कृषि मंत्री से की है.