नागपुर। हिन्दू संस्कृति तथा परम्पराओं के मुताबिक हर साल तुलसी विवाह के बाद बडे पैमाने पर शादी विवाह के साथ अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. लेकिन इस साल दीपावली होने के बाद भी इच्छुक वर-वधुओं को विवाह के लिए मुहूर्त का इंतजार करना पडेगा. क्योंकि इस बार तुलसी विवाह के बाद शुभ विवाह के मुहूर्त अल्प हैं.
अग्र पुरोहित श्यामसुन्दर पुरोहित के मुताबिक चातुर्मास की समाप्ति देव उठनी एकादशी अर्थात तुलसी विवाह से शादी-ब्याह का दौर शुरू हो जाता है. लेकिन इस र्मतबा देव उठनी ग्यारस से ब्याह के मुहूर्त का टोटा नजर आरहा है, जो लोग मांगलिक कार्य मुहूर्त देखकर करते हैं. उनके लिएइस बार थोडी प्रतीक्षा करनी होगी. इनके मुताबिक पिछले 2 अक्तूबर को सूर्यअस्त हुआ है जो कि 23 नवंबर तक रहेगा. चातुर्मास के चार माह काल को देवताओं का शयनकाल माना जाता है. इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. प्राय:तुलसी विवाह के साथ ही शहनाइयों की गूंज सुनाई देती है. लेकिन इस बार सूर्य अस्त के कारणयह मुमकिन नहीं होगा. तुलसी विवाह के बीस दिन बाद तक शादी-ब्याह का कोई मुहूर्त नहीं है. सूर्य अस्त से छुटकारा मिलने के बाद दिसंबर-जनवरी की कालावधि मलमास होने से वैसे भी विवाह नहीं होते हैं. ज्योतिष गणना के मुताबिक धनु संक्रांति का योग 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक बना रहेगा. इसे मलमास कहा जाता है. इस दौरान विवाह वजिर्त होते हैं.
पंडित श्यामसुन्दर के मुताबिक केवल तुलसी विवाह 3 नवंबर कार्तिक शुक्ल एकादशी को ही विवाह की अबूझ तिथि बताई जा रही है. दो माह में केवल चार मुहूर्त और पश्चात जनवरी का आधा माह मलमास होने से आयोजकों को योग्य मुहूर्त का इंतजार करना होगा. चूंकि तुलसी विवाह के बाद विवाह मुहूर्त अत्यधिक कम हैं, अत:इच्छुकों द्वारा इस दौरान ही विवाह कार्यक्रम निपटाने की दिशा में प्रयास आरंभ किए गए हैं. इसके चलते शहर के विभिन्न मंगल कार्यालयों के साथही बैंड वालों की बुकिंग भी तेजी से की जा रही है. तुलसी विवाह के बाद चुनिंदा बचे मुहूतरें में से कई बार एक ही तिथि पर कई विवाह होने की जानकारी है.