Published On : Sat, Jul 18th, 2020

कभी थे मनपा स्थायी समिति अध्यक्ष, अब करते है चौकीदारी

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नागपुर: एक आम व्यक्ति जब किसी राजनैतिक पार्टी का कार्यकर्ता बनता है, तो उसे यह उम्मीद होती है की उसे कोई न कोई पद दिया जाएगा, अगर उसकी किस्मत अच्छी रही तो वो पद भी उसे मिल जाता है, इसके बाद कुछ ही वर्षो में वो काफी तरक्की कर लेता है. गाडी, बड़ा घर, सभी उसके पास होता है. लेकिन इन कार्यकर्ताओ में कुछ ऐसे भी होते है, जो ईमानदारी से पार्टी के लिए काम करते हुए, आज भी उसी मुफलिसी में जीने को मजबूर है, आज किसी बड़ी पार्टी के नेता के पास बड़ा घर, कार न होना , यह सोचकर ही अजीब लगता है, लेकिन इसका जीता जागता उदाहरण है देवराव उपासराव तिजारे, जो 72 वर्ष के है, जो कभी मनपा के स्थायी समिति के अध्यक्ष हुआ करते है, आज वे अपने छोटे से घर में अपने परिवार के साथ हजारी पहाड़ परिसर में रहते है और सुरक्षा रक्षक ( Security Guard ) का काम करते है.

देवराव से जब ‘ नागपुर टुडे ‘ के सवांददाता मिले. तो उन्हें देखकर और उनसे बात करके ही उनकी सहजता से ही उनकी ईमानदारी दिखाई देती है. उनके अनुसार पहले वे शांतिनगर में रहते थे, 1996 से वे हजारी पहाड़ परिसर में रहने आए थे. वर्ष 1985 में वे कांग्रेस से नगरसेवक का चुनाव लड़े थे और जीते थे. इसके बाद वर्ष 1990-1991 में वे मनपा के स्थायी समिति अध्यक्ष बने. कांग्रेस के पूर्व नेता दत्ता मेघे के कार्यकर्त्ता के रूप में वे थे. उस समय उनके समकालीन नगरसेवक दीननाथ पड़ोले,कृष्णा खोपड़े, नाना शामकुले, अटलबहादुर सिंह भी थे. इसके बाद वे उन्होंने 1997 में चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए. इसके बाद वे उनके सीनियर नेताओ के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस में शामिल हुए. 2002 में वे फिर चुनाव लड़े और जीते, फिलहाल वे कांग्रेस में है. देवराव ने बताया की वे 1976 से राजनीती में है.

उन्होंने बी.ए सेकंड ईयर तक पढ़ाई की है. वर्ष 1983 में उन्हें आईटीआई के चुनाव समिति सदस्य बनाया गया था. उनके परिवार में पत्नी के अलावा, एक बेटा और 2 बेटियां है. उनका बेटा ज्ञानेश बी.कॉम थर्ड ईयर में पढ़ रहा है और एक बेटी गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक में पढ़ रही है और तो वही एक बेटी की शादी हो चुकी है.

देवराव का कहना है की उन्होंने कई लोगों को उस दौरान नौकरी भी दिलवाई है. लेकिन आज वे लोग भी उनकी पूछ परख नहीं करते. उनका कहना है की आज वे कांग्रेस के शहर उपाध्यक्ष है. सुरक्षा रक्षक ( Security Guard ) के काम से उनका घर चलता है और उन्हें 7000 रुपए महीने का वेतन मिलता है. उन्होंने बताया की वे रात की ड्यूटी लेते है, क्योंकि उन्हें लगता है की कोई उन्हें ( Security Guard ) की ड्रेस में न देख ले. इसके साथ ही उन्होंने कहा की दिन में सोशल वर्क, नागरिकों की मदद भी करते है. उन्होंने कहा की बुजुर्ग नेताओ के लिए भी सरकार ने कुछ करना चाहिए.

उनका कहना है की 1985 में जब वे नगरसेवक बने थे, तो 500 रुपए महीने का मिलता था, लेकिन नगरसेवको में पेंशन नहीं होती है, होती तो परेशानी कम होती. उन्होंने उम्मीद जताई है की उन्हें एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की ओर नगरसेवक का टिकट देना चाहिए.

देवराव तिजारे ने भले ही अपनी जबान से नहीं कहां लेकिन उनकी मज़बूरी, पैसो की तंगी उनके चेहरे से ही दिखाई देती है, उनका घर भी साधारण है. लेकिन यह देखा जा सकता है कि जहां आज राजनीती अरबों रूपए का खेल हो चली है, विधायक खरीदने में करोडो रूपया इधर से उधर किया जाता है, तो ऐसे में देवराव उन लोगों के मुंह पर एक तमाचा है, जो अपना ईमान बेचते है. आज देवराव जैसे ईमानदार कार्यकर्ताओ, नेताओ की सभी राजनैतिक पार्टियों को जरुरत है.