Published On : Fri, Aug 5th, 2022

पुरानी वार्ड व्यवस्था ने उम्मीदें जगाई पूर्व नगरसेवकों की

Advertisement

– संभावित मनपा चुनाव दीपावली के बाद

नागपुर -राज्य सरकार ने 2017 के वार्ड ढांचे के अनुसार नगरपालिका चुनाव कराने का फैसले से पूर्व नगरसेवकों और सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की उम्मीदें बढ़ गई हैं क्योंकि राज्य सरकार ने 2017 के वार्ड ढांचे के अनुसार नगरपालिका चुनाव कराने का निर्णय लिया है। महाविकास आघाड़ी सरकार के तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धत्ति से और उसके बाद ओबीसी आरक्षण बाद कई दिग्गजों को घर बैठने की नौबत आ गई थी.मनपा का आगामी चुनाव दीपावली के बाद अमूमन दिसंबर माह के आसपास हो सकता हैं.

पिछले एक माह पूर्व राज्य में नाटकीय घटनाक्रम के तहत सत्ता परिवर्तन हुआ,क़ानूनी अड़चन के मद्देनज़र शिवना के ही एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया क्यूंकि आघाड़ी सरकार में शिवसेना का ही मुख्यमंत्री था. सत्ता परिवर्तन बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने एक अहम् फैसला लिया,इस फैसले से मनपा चुनाव लड़ने के मामले में नाउम्मीद हो चुके जनप्रतिनिधियों को बड़ी राहत मिली है और कुछ अन्य इच्छुकों के चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है.

महाविकास आघाड़ी सरकार ने तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति के आधार पर मुंबई को छोड़कर राज्य की अन्य महानगर पालिकाओं में चुनाव कराने का फैसला किया था। इस क्रम में सभी महा नगरपालिकाओं में सीमांकन और आरक्षण की प्रक्रिया भी की गई थी।

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी के लिए आरक्षण के साथ चुनाव कराने का निर्देश दिया,ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी की गई। लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि महा विकास आघाड़ी सरकार ने 2022 की जनसंख्या की घोषणा से पहले ही नई जनसंख्या का अनुमान लगाकर महा नगर पालिकाओं में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी थी।

महा विकास आघाड़ी सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाते हुए विधायक बावनकुले ने मांग की कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 2011 की जनसंख्या के अनुसार मनपा में सदस्यों की संख्या बनाए रखें। आखिरकार पिछले बुधवार को कैबिनेट की बैठक में 2017 के पुराने वार्ड ढांचे के अनुसार मनपा चुनाव कराने का फैसला लिया गया.

इसमें मुख्य रूप से हरीश ग्वालवंशी, महेंद्र धनविजय,संदीप गवई,किशोर डोरले जैसे पूर्व नगरसेवकों भी पुनः चुनाव लड़ने का अवसर मिल गया हैं.
संदीप गवई अपने पुराने वार्ड नंबर 35 से भी चुनाव लड़ सकते हैं. हरीश ग्वालवंशी भी पुराने वार्ड 12 से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्हें भी नई वार्ड व्यवस्था में और आरक्षण के कारण संघर्ष करना पड़ा।

इस क्रम में पिछले चुनाव 2017 में हारने वाले प्रमुख संजय जैस्वाल ,बंडू राउत, राजू नागुलवार, वासुदेव ढोके, बंडू तलवेकर, अभिषेक शंभरकर आदि ने भी अपने पुराने वार्ड में काम करना शुरू कर दिया। अब उन्हें अपने काम का फल मिलने की संभावना है।