Published On : Fri, Jan 31st, 2020

नए मनपा आयुक्त की सबसे बड़ी चुनौती हैं लाभ के पदों पर कब्जा जमाए बैठे अधिकारी

Advertisement

 
नागपुर : नए मनपायुक्त तुकाराम मुंढे के आने से पहले मनपा के खादीधारियों का एकतरफा राज था.अब पिछले ३ दिनों से बड़ा बदलाव देखा जा रहा.लेकिन यह भी कड़वा सत्य हैं कि आज भी वर्षों से मलाईदार पदों/विभागों में सैकड़ों कर्मी/अधिकारी जमे हुए हैं.  

मनपा के राजस्व संबंधी विभाग संपत्ति कर,विज्ञापन विभाग,बाजार विभाग,नगर रचना विभाग,अग्निशमन विभाग, इलेक्ट्रिक विभाग, लोककर्म विभाग सहित मनपा के सभी १० ज़ोन आदि-आदि के अलावा अन्य विभागों के मूल या फिर अन्य विभागों से मनचाहे विभागों में ५ से २५ वर्ष तक एक ही विभाग व एक ही पद पर कुंडली मारकर बैठे हैं. इससे मनपा को हर प्रकार से नुकसान हो रहा.

Gold Rate
13 May 2025
Gold 24 KT 94,300/-
Gold 22 KT 87,700/-
Silver/Kg 97,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

भर्ती किसी पद पर, तैनाती मनमानी से!
इस क्रम में वार्ड अधिकारी सर्वोपरि हैं. इनकी नियुक्ति जोन प्रमुख पद के लिए हुई थी और नियुक्ति के समय तय दस्तावेज के अनुसार सेवानिवृत्त भी उन्हीं पदों पर होना था. लेकिन निर्णय लेने में सक्षम खाकीधारी ने बदलाव कर उन्हें पदोन्नति देने के अवसर मुहैया करवा दिया. आज अधिकांश वार्ड अधिकारी मनपा में अन्य विभागों का स्थाई रूप से तो कुछ अतिरिक्त रूप से जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. मनपा के कई विभाग प्रमुख ऐसे हैं जिनकी वरिष्ठता न होने के बावजूद वर्षो पूर्व विभाग प्रमुख बनाए गए. वित्त विभाग में तो शत-प्रतिशत विभाग की अहमियत/गुणवत्ता के हिसाब से कर्मी/अधिकारियों की शैक्षणिक पात्रता नहीं हैं. ऐसा ही आलम अमूमन सभी विभागों का हैं – भर्ती किसी और पद पर हुई और तैनात मनचाहे पद हैं.

दूसरी जगह खर्च कर दी केंद्र, राज्य की निधि
नागपुर मनपा की हालात यह हैं कि आय जुटाने वाले संपत्ति कर, विज्ञापन विभाग,बाजार विभाग, नगर रचना विभाग, ग्निशमन विभाग में अधिकारी/कर्मियों का बड़ा भाव हैं. इसलिए जो इन विभागों में लाभ के पदों पर वर्षों से विराजमान हैं, उनकी मनमाने रवैये के कारण प्रत्येक बजट में टार्गेट पूर्ण नहीं हो पा रहा. विभिन्न केंद्र-राज्य सरकार की योजनाओं का निधि अन्यत्र मदो में खर्च कर दिया गया.सफेदपोशों के करीबी ठेकेदार कंपनियों को वक़्त पर मांग के अनुरूप भुगतान कर दिए जा रहे.मनपा के मूल ठेकेदारों द्वारा परंपरा के अनुसार ७ से १०% खर्च करने के बावजूद ६ से ८ माह बाद भुगतान किया जा रहा.

दर्जन भर तथाकथित नेता ब्याज पर चला रहे पैसे
मनपा में सक्रिय नेताओं सह एक दर्जन से अधिक कर्मी बड़े पैमाने पर बड़ी ब्याज दर पर वर्षों से मनपा कर्मियों का शोषण कर रहे हैं. अधिकांश ऐसे कर्मी दिन भर वसूली करते या नेतागिरी करते या फिर मनपा बैंक/महाराष्ट्र बैंक के इर्द-गिर्द नज़र आ जाएंगे. ये मनपा के कर्मियों को १० से २०% ब्याज दर से पैसे देते, उसके ऐवज में उनका पासबुक व हस्ताक्षरयुक्त चेक हथिया लेते, क्योंकि इनकी बैंक से सांठगांठ तगड़ी है इसलिए मनपा द्वारा मासिक वेतन जमा करते ही सबसे पहले ब्याज लेने वाले कर्मियों का खाता खाली कर दिया जाता है.

एक काम के लिए डबल खर्च
सरकारी नियमानुसार एमएससीआईटी करने वालों को ही वेतनवृद्धि देने का नियम हैं.इस वेतन वृद्धि के लिए कहीं से भी प्रमाणपत्र जुटाकर सम्बंधित विभाग के सुपुर्द कर दिया जाता है. एमएससीआईटी अर्थात आज के अत्याधुनिक युग में कंप्यूटर का ज्ञान, जिससे सम्बंधित विभागों के कामकाज का संचलन हो सकें।  

एमएससीआईटी का प्रमाणपत्र सौंप वेतनवृद्धि का फायदा उठाने वाले अधिकांश को कंप्यूटर का ज्ञान है ही नहीं, इसलिए तो मनपा का कामकाज  वर्षों से ठेकेदारी पद्धति से ‘सीएफसी’ मार्फ़त १४० कम्प्यूटर ऑपरेटरों से चलाया जा रहा. विडम्बना यह हैं कि एक ही कार्य के लिए मनपा वर्षों से २-२ खर्चे कर रही.

वेतन मनपा का और काम निजी क्षेत्रों में कर उठा रहे दोहरा लाभ प्रत्येक जोन के मनपा स्वास्थ्य विभाग के आधे से अधिक कर्मी वार्ड के स्वास्थ्य अधिकारी के शह पर रोजाना हाजिरी लगाकर निजी क्षेत्रों में साफ़-सफाई कर रहे या उसका ठेका लेकर अन्य कर्मियों से काम करवा रहे.

नतीजा मनपा स्वास्थ्य विभाग का मकसद पूर्ण नहीं हो रहा.पिछले कुछ वर्षों से लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण मामले में पिछड़ता जा रहा.इस विभाग के कर्मियों पर कार्रवाई का मतलब हैं कि मनपा के खादीधारियों से बैर लेना।

मनपा में अतिरिक्त शिक्षक मजे में
मनपा शिक्षण विभाग की हालात इतनी दयनीय हैं कि यहाँ काम करने वाले कर्मियों/शिक्षकों की काफी कमी हैं,अधिकांश शालयीन कार्य छोड़ नेतागिरी/अन्य विभागों के मलाईदार पदों आदि मामले में सक्रिय हैं.इसलिए प्रत्येक वर्ष विद्यार्थियों की संख्या घटते जा रही और शालाऐं बंद होते जा रही.

कई शाला ऐसे हैं जहाँ शिक्षक से कम विद्यार्थी हैं.दर्जन भर से अधिक शाला ईमारत जीर्ण होते जा रही.इन बंद हुए शाला से अतिरिक्त हुए शिक्षक/कर्मियों से गुणवत्तापूर्ण काम नहीं लिया जा रहा.  

Advertisement
Advertisement