Published On : Fri, Jan 20th, 2023

एन.वी.सी.सी. ने आगामी केन्द्रीय बजट 2023-24 में लघु व मध्यम व्यापारियों को राहत देने की मांग की

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नाग विदर्भ चेंबर आॅफ काॅमर्स विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की अग्रणी व शीर्ष संस्था है तथा चेंबर सदैव व्यापारी समुदाय के साथ जनमानस के हितार्थ चेंबर व्यापारिक हितों के लिये सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के साथ समन्वय बनाकर उनके मध्य – सेतु का कार्य करता है।

चेंबर के अध्यक्ष श्री अश्विन प्रकाश अग्रवाल (मेहाड़िया) ने वित्त मंत्रालय को भेजे गए प्रतिवेदन द्वारा कहा कि चेंबर द्वारा व्याापारी समुदाय के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुये समय-समय पर सरकार को सुझाव व प्रतिवेदन प्रेषित किए जाते रहे है। जैसा कि वित्त मंत्रालय द्वारा आगामी फरवरी माह में वर्ष 2023-24 के लिये बजट प्रस्तुत किया जाने वाला है। अतः आगामी बजट में आम जनमानस को निम्न राहत दी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि चेंबर द्वारा काफी समय से व्यक्तिगत आय में आयकर के प्रावधान से छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है। लघु व मध्यम व्यापारियों तथा नौकरीपेशा व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखते हुये वार्षिक आय के लिऐ व्यक्तिगत आयकर मे निम्न राहत देना चाहिये:-

रू. 5 लाख तक वार्षिक आय को – पूर्णत छूट
रू. 5 लाख से अधिक व 10 लाख तक – 10%
रू. 10 से 20 लाख तक की वार्षिक आय – 20%
रू. 20 लाख से अधिक आय के लिए – 3% की दर से आयकर निश्चित करना चाहिये तथा साथ ही नए प्रावधान u/s 115BAC के अनुरूप विभिन्न आयकर दरों में फेरबदल करना चाहिये। साथ ही सरचार्ज के दरों में भी बदलाव प्रस्तावित है तथा u/s 87A के तहत व्यक्तिगत करदाता को रू. 5लाख की वार्षिक आय के कर निश्चित छुट देनी चाहिये।

चेंबर के संचालक मंडल के चेअरमेन श्री अर्जुनदास आहुजा ने कहा कि सरकार ने कंपनियों के लिये आयकर की दर 25% तय की है तथा पार्टनरशिप फर्म के लिये 30% आयकर की दर है। सरकार ने छोटी कंपनियों की तरह पार्टनरशिप फर्म के लिये भी आयकर की दर 25% करना चाहिये। आयकर के प्रावधान 44AD के तहत पार्टनरशिप फर्म में पार्टनरों कोे फर्म से अपना मानधन तथा उसके ब्याज पर भी आयकर में छुट देना चाहिये।

चेंबर के सचिव श्री रामअवतार तोतला ने बताया कि आयकर के प्रावधान 234A, 234B व 234C के तहत करदाता को आयकर के विभिन्न प्रावधानों पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। जिसके कारण व्यापारी वर्ग को तरल पूंजी के अभाव से गुजरना पड़ रहा है एंव व्यापारियों को अग्रिम करो के भुगतान व देयकर पेमेंट के भुगतान पर भी देरी होने पर भारी मात्रा में ब्याज चुकाना पड़ता है। अतः सरकार ने वर्तमान बाजार की आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये प्रावधान 234A, 234B व 234C के तहत भुगतान व ब्याज की दरों का पुनः आकलन कर आम जनता व व्यापारियों को राहत देना चाहिये।
चेंबर के उपाध्यक्ष श्री फारूकभाई अकबानी ने कहा कि कभी-कभी आकलन अधिकारी द्वारा गलत आकलन होने से करदाता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में आकलन अधिकारी व विभाग ने गलत आकलन की जवाबदारी स्वीकार करते हुये करदाता को हुय आर्थिक व मानसिक तकलीफ हेतु मुआवजा देना चाहिये। राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (NPS) के सेक्शन 36(1) के अनुसार करदाता को अपने वेतन का 10% भुगतान करना होता है जबकि वर्तमान में केन्द्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 14% कर दिया है अतः राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था (NPS) के नियमों में एकरूपता बनाये रखने के लिऐ पुनः 10% ही किया जाना चाहिये।

चेंबर की प्रत्यक्ष कर समिती के संयोजक सी.ए. श्री संदीप जोतवानी ने कहा कि वर्तमान में न्युनतम वैकल्पिक कर(MAT) तथा वैकल्पिक न्युनतम कर(AMT) की दर 18.% है जो कि बहुत अधिक है। जिसे कम कर 10% करना चाहिये। वर्तमान समय में आर्थिक मंदी व तरल पूंजी अभाव को देखते हुये सरकार ने न्युनतम वैकल्पिक कर(ड।ज्) तथा वैकल्पिक न्युनतम कर(।डज्) के प्रावधान में बदलाव कर उद्योगों व व्यापारियों को राहत देना चाहिये। साथ ही सरकार ने बचत को प्रोत्साहित करने के लिये आयकर के प्रावधान 80C व 80D में आवश्यक बदलाव कर इसकी न्युनतम सीमा में भी बढ़ोतरी कर 3,00000/- चाहिये। वेतन पर आयकर की सीमा को रू. 50 हजार से बढ़ाकर 1लाख करना चाहिये।

आयकर के रिर्टन के प्रावधान के अनुसार करदाताओं को 30 दिनों में आयकर रिर्टन का e-verify करना होता है। सभी छोटे व मध्यम व्यापारियों के पास e-verification के लिऐ सभी तकनीकी साधन उपलब्ध न होने के कारण वह आयकर रिर्टन को e-verify नहीं कर पाता है जिसके कारण विभाग उनके रिर्टन को अवैध घोषित कर देता है। अतः विभाग ने ऐसे व्यापारियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुये समय सीमा के बाद भी आयकर रिर्टन को e-verify करने का मौका प्रदान करना चाहिये।

चेंबर के कार्यकारिणी सदस्य सी.ए. अश्विनी अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में किसी भी प्रापर्टी की खरीद या निर्माण कार्य 5 वर्षाे के अंदर पूर्ण न हो पाया है तोरू. 2 लाख के लोन पर ब्याज की छुट मिलती है। इस छुट की निर्धारित समय सीमा अवधि के बाद भी 2 वर्षाे तक बढ़ाया जाना चाहिये।
सरकार ने युके, आॅस्ट्रेलिया व कनाडा जैसे देशो से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीय IT क्षेत्र की कंपनियों प्रोत्साहित करने के लिए उनके अनुसंधान में हुये व्यय में 125% की कटौती की छुट देनी चाहिए।

चेंबर के कार्यकारिणी सदस्य सी.ए. उमंग अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में कृषि भूमि को हस्तातंरण के समय MAT u/s 115JB के तहत कर लागू किया जाता है जबकि कृषि भूमि पूंजीगत संपत्ती के अंतर्गत नहीं आती। अतः कृषि भूमि के हस्तातरंण को कर निर्धारण से बाहर रखा जाना चाहिये।Section 79 of Income Tax Act, 1961 के तहत व्यापार में हो रहे नुकसान के तहत कर समाप्ति की समय को 8 वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिये।Section 270A के अनुसार वर्तमान में एक बार लागू किए जुर्माने को समाप्त नहीं किया जा सकता, सरकार ने इसमें करदाता राहत देते हुये उचित कारण होने परSection 270A के अनुसार लगाये जुर्माने का हटाया जाना चाहिऐ तथा साथ हीSection 273B में भी संशोधन किया जाना चाहिये।Section 47(xiiib) of Income Tax Act, 1961 के LLPs का Companies रूपातरंण में बहुत कठिनाई आती है अतः LLPs का कंपनी के रूप रूपांतरण के प्रावधान की सीमाओं पुनः विचार करना चाहिए।

चेंबर के सदस्य सी.ए. यश वर्मा ने कहा कि MSME युनिट का आवश्यक अनुपालनों जैसेः- आयकर के टीडीएस/टीसीएस, जीएसटी के RCM आदि बाहर रखा चाहिऐ। deemed dividend rules (section 2(22e) of Act) में राहत देना चाहिये। असेसमेंट को पारदर्शी एवं निष्पक्ष रखने के लिऐ असेसमेंट अधिकारी द्वारा भूलचूक से कोई गलत आदेश पारित हो जाता है तो विभाग द्वारा करदाता हो हुये मानसिक एवं आर्थिक नुकसान की भरपाई की जानी चाहिये।

चेंबर के अप्रत्य़क्ष कर समिती के संयोजक सी.ए. रितेश मेहता ने कहा कि दिन-प्रतिदिन करों के अनुपालनों के नियम व प्रावधान सख्त होते जा रहे है जिसके कारण करदाता का ITC को claim करने में बहुत कठिनाई आ रही है। अतः इसके सके प्रावधानों में सरलीकरण किया जाना चाहिये। कर अपील के समय सीमा को 90 से बढ़ाकर 180 दिन किया जाना चाहिए तथा appellate authority को राहत देने योग्य वास्तविक मामलों में माफ करने के अधिकार देना चाहिए। जीएसटी की विभिन्न दरों को समाप्त कर 2 से 3 दरों को ही लागू करना चाहिए। जीएसटी असेसमेंट एवं आॅडिट के निश्चित नियम बनाए जाने चाहिए एवं असेसमेंट अधिकरियों द्वारा उसके तहत ही असेसमेंट किया जाना चाहिए। भुगतान की देरी में ब्याज की दर को 24 से घटाकर 6% किया जाना चाहिए। जीएसटी रजिस्ट्रेशन एवं रिफंड के कार्याे को कम से कम 3 दिनों में पूर्ण किए जाने चाहिऐ। जीएसटी लागू हुये 5 वर्ष हो चुके है। अतः जी.एस.टी. के लंबित मामलों को एकमुश्त निपटारा करने के लिए सरकार ने वैट तरह की जी.एस.टी. की अभय योजना भी लाकर व्यापारियों को राहत प्रदान करना चाहिये।

कोषाध्यक्ष श्री सचिन पुनियानी ने कहा कि वर्तमान छोटे व मध्यम करदाताओं के पास सभी तकनीकी साधन उपलब्ध नहीं हो पाते है जिससे उन्हें Faceless assessment करने में बहुत परेशानी होती है। अतः रू. 50 करोड़ से अधिक है वार्षिक टर्न ओवर करदाताओं के लिए Faceless assessment अनिवार्य करना चाहिे। जिससे प्रशासनिक विभाग पर Faceless assessment व e-assessment का भार भी कम होगा। वित्त अधिनियम के तहत केन्द्र सरकार ने Faceless assessment के मामलों को निपटाने के लिए Income Tax Appellate Tribunal (ITAT) की व्यवस्था की है। इस प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने ITAT में छोटे मामलों को निपटारा किया जाना चाहिए तथा धीरे – धीरे इसमें बड़े मामलों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने माननीय केन्द्रीय वित्त मंत्री महोदया श्रीमती निर्मला सीतारमनजी व केन्द्र सरकार ने निवेदन करते हुये कहा कि लघु व मध्यम व्यापारी वर्ग अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक है जो कि करसंग्रह कर देश के राजस्व में वृद्धि कर देश के आर्थिक संपन्नता व सुदृढ़ता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अतः आगामी केन्द्रीय बजट 2023-24 में चेंबर द्वारा उपरोक्त दिये हुये सुझावों को ध्यान में रखते हुये आमजनता व व्यापारियो को राहत देना चाहिये और जिस तरह सरकार किसानों व मजदुर वर्ग के लिये भी राहत पैकेज की घोषणा करती है उसी तरह लघु व मध्यम व्यापारी वर्ग को प्रोत्साहन देने हेतुु समृद्धि पैकेज की घोषणा करना चाहिये।

उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति द्वारा सचिव श्री रामअवतार तोतला ने दी।