Published On : Thu, Oct 17th, 2019

न्यूक्लियस हॉस्पिटल की लापरवाही से ढाई साल के मासूम तन्मय की मौत

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नागपुर: मेयो हॉस्पिटल में भर्ती किए गए ढाई साल के मासूम तन्मय की आखिरकार मौत हो गई. बुधवार को उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. उसके पिता धनराज नेवारे जो की एक मजदुर है उन्होंने आरोप लगाया था की उनके बेटे की मौत के जिम्मेदार धंतोली स्थित न्यूक्लियस हॉस्पिटल है. उनके द्वारा इलाज में लापरवाही बरते जाने के बाद ही उनके बेटे की तबियत बिगड़ी और उसे मेयो लेकर जाना पड़ा. इसके लिए पूरी तरह से न्यूक्लियस हॉस्पिटल ही जिम्मेदार है. न्यूक्लियस हॉस्पिटल डॉ. निशिकांत दहीवाले का है. तन्मय के पिता के अनुसार तन्मय को बुखार था.

बुटीबोरी में पहले इलाज कराया गया था. बुखार कम नहीं होने पर उसे न्यूक्लियस चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. यहाँ पर 4 डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे लेकिन उसे क्या हुआ यह नहीं बता पा रहे थे. तन्मय की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी. जिसके बाद उन्होंने किसी सरकारी हॉस्पिटल में तन्मय को ले जाने का फैसला किया. लेकिन न्यूक्लियस हॉस्पिटल की ओर से तन्मय के पिता को इलाज के खर्च का 70 हजार रुपए माँगा गया.

जबकि पहले हॉस्पिटल की ओर से कहा गया था की इसका इलाज मुख्यमंत्री राहत कोष से हो जाएगा. इसके लिए तन्मय के पिता ने फॉर्म भी भरा था. पैसे नहीं देने पर हॉस्पिटल की ओर से बच्चे का इलाज करना बंद कर दिया था. बेटे को उपचार के लिए सरकारी हॉस्पिटल भी लेकर नहीं जाने दिया गया. हॉस्पिटल की ओर से सीधे कहा गया की डिस्चार्ज से पहले हॉस्पिटल का बिल भरो. उन्होंने किसी तरह 14 हजार रुपए जुटाकर हॉस्पिटल को दे दिए. इसके बाद तन्मय को मेयो हॉस्पिटल लेकर जाया गया. इलाज के दौरान मेयो के डॉक्टरों ने डिस्चार्ज समरी केस पेपर मांगे.

यह समरी न्यूक्लियस हॉस्पिटल ने नहीं दी थी. तन्मय के पिता जब हॉस्पिटल पेपर मांगने पहुंचे तो 15 हजार रुपए मांगे गए, इसके बाद उन्होंने किसी तरह 5 हजार रुपए जमा कर दिए. वह यह पेपर लेकर मेयो पहुंचे वहां उन्हें डॉक्टर ने बताया की तन्मय की हालत काफी नाजुक है और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. आखिरकार तन्मय की बुधवार 17 अक्टूबर को मौत हो गई. इस हादसे के बाद उसके पिता काफी सदमे में है.

मेयो के पीडियाट्रिक्स के एचओडी डॉ. सी.एम बोकडे ने इस मामले में बताया की बच्चे को सोमवार को हॉस्पिटल में लाया गया था. उस समय बच्चे के परिजनों के पास डिस्चार्ज के दौरान दिया जानेवाला इलाज का कोई भी रिकॉर्ड नहीं था. जिसके कारण उन्हें जानकारी नहीं थी की न्यूक्लियस हॉस्पिटल में बच्चे का क्या इलाज किया गया. उसकी रिपोर्ट क्या है. बच्चे के पिता को 24 घंटे बाद इलाज की रिपोर्ट हॉस्पिटल की ओर से दी गई. उन्होंने कहा की इस निजी हॉस्पिटल का रवैय्या चिकित्सा सेवा के बिलकुल खिलाफ है.