कनिष्ठ पुलिसकर्मी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी इस प्राधिकरण के दायरे में आएंगे.
नागपुर: अब पुलिस के मनमाने रवैये पर रोक लगनेवाली है. सिविल लाइन स्थित प्रशासकीय इमारत क्रमांक 2 के पांचवें माले पर विभागीय पुलिस शिकायत प्राधिकरण कार्यालय आरंभ किया गया है. कनिष्ठ पुलिसकर्मी से लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी इस प्राधिकरण के दायरे में आएंगे. इससे एक ओर जहां वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी, वहीं आम नागरिकों को राहत मिलेगी.
ज्ञात हो कि सरकार के आदेश पर प्राधिकरण का मुख्यालय मुंबई में आरंभ हुआ है. इसके अलावा राज्य में 6 स्थानों पर उक्त प्राधिकरण के कार्यालय आरंभ किए गए हैं. शहर के विभागीय प्राधिकरण कार्यालय की जिम्मेदारी पुलिस उपायुक्त स्तर के सेवानिवृत्त अधिकारी को दी गई है. सरकार के आदेश पर 23 मई 2015 में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए.वी. पोतदार की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय प्राधिकरण की स्थापना की गई थी. न्यायालय में पुलिस के खिलाफ बढ़ रहीं शिकायतों को देखते हुए प्राधिकरण का महत्व बढ़ गया है.
पुलिस के असभ्यता पर हुई कार्रवाई
कुछ दिनों पूर्व ही शहर की महिला अधिवक्ता के साथ अजनी के यातायात विभाग में असभ्य भाषा का उपयोग कर अपमानित करने का मामला प्रकाश में आया था. इस प्रकरण में एएसआई राठोड़ सहित 3 पुलिस कर्मियों का तबादला किया गया था. इसी तरह सोनेगांव के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक प्रकाश शहा के खिलाफ मानवी हड्डियों के ढांचे का मामला राज्य मानव अधिकार आयोग में न्यायप्रविष्ठ है. इन प्रकरणों से यह साफ होता है कि पुलिस नागरिकों की रक्षा के लिए है या उन्हें प्रताड़ित करने के लिए. ऐसे मामलों में कार्रवाई के उद्देश्य से ही शहर में विभागीय प्राधिकरण मार्फत काम आरंभ किया गया है.
शिकायत पर प्राधिकरण स्वयं जांच कर सकेंगे.
पुलिस की ओर से किसी भी तरह के गंभीर कृत्य होने पर नागरिक प्राधिकरण में अपनी शिकायत कर सकते हैं. किसी भी पुलिसकर्मी पर गंभीर आरोप या उसके खिलाफ आई शिकायत पर प्राधिकरण स्वयं जांच कर सकेंगे. साथ ही पीड़ित व्यक्ति या उसकी ओर से परिवार का सदस्य या सहयोगी, प्रत्यक्षदर्शी भी शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा पुलिस विभाग, राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार आयोग जैसे विविध मंचों से भी प्राधिकरण के समक्ष शिकायत की जा सकती है. प्राधिकरण संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय अनुशासन भंग की कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है. कानून का उल्लंघन कर अपराध सिद्ध होने पर दोषी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी सिफारिश की जा सकेगी. आवश्यकता पड़ने पर शिकायतकर्ता को सुरक्षा देने का निर्देश भी प्राधिकरण को सरकार देनेवाली है. प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में भी न्याय मांगा जा सकता है.
