Published On : Mon, Oct 12th, 2020

पूर्णकालीन CAFO नहीं होने से आर्थिक व्यवहार चरमराया

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– न मनपा प्रशासन गंभीर और न ही पदाधिकारियो की मांग की सुनवाई हो रही सुनवाई

नागपुर : मदन गाडगे के सेवानिवृत्त होने के बाद आजतक मनपा को पूर्णकालीन CAFO स्थाई रूप से नहीं मिला,इसके बाद मनपा में प्रभारी या फिर आया राम-गया राम CAFO के सहारे वित्त विभाग का कारोबार लड़खड़ाती रही.जिसका हर्जाना मनपा प्रशासन खुद और मनपा से जुड़े प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सभी बुरी तरह प्रभावित हैं.

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इस संदर्भ में मनपा स्थाई समिति सभापति से सवाल करने पर उन्होंने खुद के द्वारा किये गए आधा दर्जन पत्र व्यवहार के दर्शन करवाकर अपनी असमर्थता दर्शाई।
अगली सप्ताह या इसी सप्ताहांत में मनपा की साढ़े 3 माह के लिए वर्ष 2020-21 का बजट स्थाई समिति द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।ठीक साढ़े 3 माह बाद फरवरी 15,2021 के आसपास मनपायुक्त वर्ष 2020-21 की रिवाइस व वर्ष 2021-22 का प्रस्तावित बजट पेश करेंगे,जिसमें पूर्णकालीन CAFO की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होंगी।

जल्द ही पेश किये जाने वाले बजट को प्रशासकीय मंजूरी अर्थात मनपायुक्त की मंजूरी के दौरान पूर्णकालीन CAFO की अहम भूमिका रहेंगी।

वर्त्तमान में प्रभारी CAFO के लिए कार्यालयीन 5 दिनों में से सोमवार,मंगलवार,बुधवार मनपा,नागपुर तो शेष गुरुवार,शुक्रवार अमरावती में कार्यरत रहेंगे।लेकिन वे मनपा में 3 दिन में से 1 दिन आते हैं,वह भी अपनी मनमर्जी से अल्प समय में मनमाफिक काम कर अपने गंतव्य स्थल की ओर लौट जाते हैं.नतीजा वित्त विभाग से सम्बंधित शत-प्रतिशत महत्वपूर्ण काम अधूरे के अधूरे रह गए हैं.

मनपा के विशेष ठेकेदारों को छोड़ दे तो मनपा के अधिकांश ठेकेदारों को कहने को अगस्त 2019 से भुगतान नहीं किया गया,जबकि इसके 4 माह पहले से ठेकेदार वर्ग मनपा वित्त विभाग की नीति से परेशान हैं.

दूसरी ओर मनपा के ठेकेदारों पर पिछले बचे काम,नए वर्क आर्डर के काम आदि को शुरू/पूर्ण करने के लिए दबाव बनाया जा रहा,लेकिन भुगतान दिलवाने के नाम पर अड़चनें भी डाली जा रही.ठेकेदारों ने तो पिछले कुछ माह पूर्व मनपा की मुख्य अभियंता को साफ़ साफ़ कह दिया था कि पिछले भुगतान बाद नया काम की शुरुआत करेंगे।

इस आर्थिक वर्ष की बजट में मुंढे द्वारा रोके गए जिन कामों के टेंडर हो गए और जिन कामों के वर्क आर्डर हो गए,उन सभी कामों को पूर्ण करने के लिए बजट में प्रावधान किया जाने वाला हैं,इसके लिए सत्तापक्ष और कुछ करीबी विपक्षी पार्षदों के क्षेत्र के वैसे कामों को बजट में ही उल्लेखित कर दिया जाने वाला हैं ताकि जोन में बैठे कार्यकारी अभियंता की मंजूरी बाद सीधे काम शुरू किया जा सके.इन कार्यों को शुरू अथवा पूर्ण करवाने के लिए ठेकेदारों को कुछ न कुछ भुगतान करवाना पड़ेंगा।

मनपा में कुछ ठेकेदार या ठेकेदार कंपनी ऐसी हैं जो मनपा नित का सार्वजानिक विरोध करने में पीछे नहीं हटती तो दूसरी ओर टेंडर लेने में भी सबसे आगे रहती क्यूंकि ऐसे समय में बड़े अच्छे दामों में टेंडर मिल जाते हैं और कोई काम करते वक़्त परेशानी भी नहीं करता है.

अब देखना यह हैं कि लड़खड़ी वित्त विभाग में हो रही गड़बड़ियों पर नकेल कसने के लिए मनपा प्रशासन कब पूर्णकालीन CAFO लेन में सफलता हासिल करता या उत्सुकता दिखती ?

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