नागपुर: मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के नागपुर बेंच ने वर्ष 2016 में एक आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि किसी भी बिना अनुदानित शैक्षिक संस्थान, जिसने सरकार से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अनुदान नहीं लिया है, सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अब ऐसे संस्थान किसी भी जानकारी पर उत्तर देने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे. आदेश अब पूरे राज्य पर लागू है.
सीआईसी वसंत पाटिल के आदेश के अनुसार, बिना अनुदानित संस्थान किसी भी सार्वजनिक उद्यम के तहत नहीं आते हैं, जिसके लिए उन्हें सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निधि प्राप्त नहीं होती है.
प्रैल 2018 में चंद्रपुर से याचिकाकर्ता अजय पद्मकर तुम्मे द्वारा याचिका दायर करने के बाद निर्णय लिया गया था. लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) बालाजी चैरिटेबल ट्रस्ट और साई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी तालोधी, चंद्रपुर के खिलाफ नागपुर खंडपीठ के साथ याचिकाकर्ता ने कॉलेजों और छात्रों के बारे में जानकारी मांगी थी. जिसके बाद पीआईओ ने सूचना प्रदान करने से इंकार कर दिया.
इस बारे में सूचना अधिकार कार्यकर्ता महासंघ के जिला कार्याध्यक्ष शेखर कोलते ने इस निर्णय पर जानकारी देते हुए बताया कि अगर गैर अनुदानित, कायम बिना अनुदानित संस्थाओं को और स्कूलों को सूचना का अधिकार लागू नहीं होता है तो ऐसी स्कूलों को शासन की तरफ से कोई भी सहूलियत, सब्सिडी न दी जाए. अगर इन स्कूलों में आरटीई लागू होता है तो आरटीआई लागू क्यों नहीं किया जा सकता.
कोलते ने कहा कि इस बारे में अगले महीने महासंघ द्वारा राज्य व केंद्रीय सुचना आयोग से चर्चा की जाएगी और अगर जरुरत पड़ी तो इस निर्णय को लेकर उच्च न्यायलय का दरवाजा भी खटखटाएंगे.