Published On : Wed, May 2nd, 2018

कॉलेजियम बैठक में जस्टिस केएम जोसेफ पर कोई फैसला नहीं

Advertisement


नई दिल्ली: जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के मामले आज कॉलेजियम कोई फैसला नहीं ले पाया. कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए जस्टिस केएम जोसेफ़ का नाम भेजा था, जिसे केंद्र ने दोबारा विचार के लिए लौटा दिया था. आज कॉलेजियम ये तय करने के लिए बैठा था कि जस्टिस के एम जोसेफ के नाम की दोबारा सिफारिश केंद्र को भेजी जाए या नहीं. अगर कॉलेजियम ने फिर से सिफारिश भेजी तो केंद्र को नियुक्ति को हरी झंडी देनी होगी. केंद्र का कहना था कि कई सीनियर जजों की अनदेखी कर जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफ़ारिश की गई है.

कॉलेजियम में आंध्र एवं तेलंगाना हाईकोर्ट, कलकत्ता, राजस्थान हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में फेयर रिप्रेजेंटेशन के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश पर भी फैसला टल गया. 50 मिनट तक कॉलेजियम बैठक हुई थी. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सरकार ने जोसेफ के नाम को कॉलेजियम के पास पुनर्विचार करने के लिए वापस भेज दिया था. सूत्रों के अनुसार कॉलेजियम की माटिंग इस हफ्ते या अगले हफ्ते फिर होगी. उन्होंने बताया कि पांच जजों ने सहमति से मीटिंग को टाला है. फिलहाल इस बात का पता नहीं चल सका है कि मीटिंग में क्या हुआ.

बहरहाल, अब सवाल कॉलेजियम के पांचों न्यायाधीशों की उपलब्धता का है क्योंकि कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर चिकित्सा कारणों से 26-27 अप्रैल को काम पर नहीं आए थे. बता दें कि इस कॉलेजियम में चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के अलावा जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ सदस्य हैं.

Gold Rate
13 June 2025
Gold 24 KT 99,400 /-
Gold 22 KT 92,400 /-
Silver/Kg 1,07,100/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

SC विवाद पर बोले जस्टिस आर एम लोढ़ा, मनमाने ढंग से काम नहीं कर सकते CJI
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने इसी साल दस जनवरी को उत्तराखंड के चीफ जस्टिस जोसेफ और वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की शिफारिश की थी. हालांकि सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम पर तो मुहर लगा दी, मगर जोसेफ के नाम की सिफारिश को वापस पुनर्विचार करने के लिए कॉलेजियम के पास भेज दिया. उसने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरुप नहीं है और उच्चतम न्यायालय में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है , न्यायमूर्ति जोसेफ केरल से आते हैं.

मामलों के आवंटन पर कई न्यायाधीशों के फैसला करने से अराजकता पैदा हो जाएगी: अटॉर्नी जनरल
न्यायमूर्ति जोसेफ ने उस पीठ की अगुवाई की थी जिसने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी.

न्यायमूर्ति जोसेफ जुलाई , 2014 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. वह इस साल जून में 60 साल के हो जाएंगे. उन्हें 14 अक्तूबर , 2004 को केरल उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और उन्होंने 31 जुलाई , 2014 को उत्तराखंड उच्च न्यायलय का प्रभार संभाला था.

जजों की नियुक्ति पर अंतिम फैसले का अधिकार कॉलेजियम को : सोली सोराबजी
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिश्रा , न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति के एम जोसेफ के नाम की सिफारिश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर की थी.

Advertisement
Advertisement
Advertisement