नागपुर: इस साल मकर संक्रांति पर आसमान पक्षियों के लिए राहतकारी व यातायात के लिए सुरक्षित होने की संभावना बढ़ गई है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा फरवरी 2017 तक नायलॉन मांजे पर लगाई गई रोक का असर बाजार में दिखाई देने लगा है। पीपल फॉर एनिमल संस्था की ओर से करिश्मा गलानी व अंजलि वैद्यार ने मनपा आयुक्त और शहर पुलिस आयुक्त को भी पत्र देकर अदालत द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का पालन करने का अनुरोध किया है।
यहाँ जारी विज्ञप्ति में करिश्मा गलानी ने बताया कि उनके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए पुलिस आयुक्त ने शहर सीमा के अधीनस्थ सभी थानों को नायलॉन मांजे पर कार्रवाई करने के मौखिक आदेश दिए हैं। सुश्री गलानी ने बताया कि पुलिस आयुक्त ने जल्द ही इस संबंध में लिखित आदेश सभी थाने में भेजने के प्रति उन्हें आश्वस्त किया है।
पिछले वर्ष नयलॉन मांजे को लेकर दर्ज की गई 5 एफआईआर का असर इस साल बड़े तौर पर दिखाई दे रहा है। नई दिल्ली स्थित एनजीटी ने भी 1 फरवरी 2017 तक नायलॉन मांजे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है और 2 फरवरी 2017 को इस मामले पर अगली सुनवाई रखी गई है।
न्यायाधिकरण के आदेश के बाद से नायलॉन मांजा बाजार से आश्चर्य जनक रूप से गायब दिखाई दे रहा है। इतवारी स्थित पतंग थोक बाजार में नायलॉन मांजा कहीं भी दिखाई नहीं दिया। उलटे व्यापारी ही चायनीज नायलॉन मांजा की मांग ग्राहकों से नहीं करने की अपील फलक के माध्यम से करते दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह सक्करदरा स्थित पतंग के बड़े बाजार में भी नायलॉन मांजा नहीं दिखाई दिया।
नायलॉन मांजे पर सिरस चढ़ाकर कांच का पाउडर चढ़ानेवालों पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश होने के कारण नायलॉन मांजा कहीं भी दिखाई नहीं दिया। बेचनेवालों पर भी कार्रवाई करने के आदेश होने से मांजा यहां नहीं के बराबर दिखाई दिया। पुलिस द्वारा पिछले वर्ष बरती गई सख्ती के दौरान सक्करदरा में तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई थी। स्वयंसेवी संस्थाएं भी नायलॉन मांजे को लेकर सक्रिय भूमिका निभाती हैं। नायलॉन मांजे से हर साल कई सकड़ दुघटनाएं देखने में आती हैं। कई पशुपक्षियों की जान भी नायलॉन मांजे में उलझने के कारण जाती रही हैं। लिहाजा पुलिस विभाग के साथ मनपा व वन विभाग को भी इसकी रोकथाम के लिए कार्रवाई करने का दबाव था।