Published On : Thu, Jan 25th, 2018

परिवहन विभाग पर मंडरा रहा शनि का खतरा

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नागपुर: मनपा परिवहन सभापति बंटी कुकडे को शुरुआत से परिवहन विभाग के साथ उस पर गोरिल्ला वॉर करने वाले सफेदपोश आए दिन अड़चन में लाते रहते हैं। वह भाजपा नेता नितिन गडकरी के उद्देश्यों को मूर्त रूप देने में जुटे रहे और परिस्थिति को सम्हालते रहे। लेकिन कल शाम उनका संयम जवाब दे गया और उन्होंने प्रशासन को दी गई गाड़ी लौटा कर एक निजी वाहन से अपने गंतव्य स्थान की ओर रवाना हो गए।

खटारी वाहन लौटाई
इसके पूर्व उन्होंने खटारे वाहन के बदले अनगिनत पत्र व्यवहार कर नए वाहन की मांग लगातार कर रहे हैं। लेकिन आए दिन प्रशासन नई-नई कहानियां सुनाती रही। कल जब वे आपे के बाहर आ गए, सामान्य प्रशासन विभाग प्रमुख महेश धामेचा ने दो दिन की मोहलत, मांगी लेकिन सभापति नहीं माने।।

पत्रों व निर्देशों का पालन नहीं 
सभापति कुकडे ने यह भी गुस्सा जाहिर करते हुए एक पत्र मनपायुक्त, महापौर व सत्तापक्ष के नाम लिखते हुए कहा कि अपने सहायक को निर्देश दिए कि जब उनके निर्देशों और पत्रों को मनपा प्रशासन, परिवहन विभाग गंभीरता से नहीं लेता तो वे पद पर नाम मात्र के लिए बने रहने में रुचि नहीं रखते। समाचार लिखे जाने के पूर्व वे उस पत्र के दर्शन उस अधिकारी को करवा चुके थे। लेकिन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था।

एक अन्य घटनाक्रम में सभापति को उनके वार्ड निधि के अलावा सिर्फ और सिर्फ स्थाई समिति ने निधि दी। शेष अन्य ने नकार दिया। इससे भी वे अपने प्रभाग के विकास कार्यों को लेकर चिंतित थे। उक्त कारणों से सभापति आपे के बाहर हो गए।

सताया जा रहा ऑपरेटरों को
सैकडों लाल बसों के ऑपरेटरों को परिवहन विभाग ने नवंबर और दिसंबर के साथ खत्म होते आ रही जनवरी से भुगतान नहीं किया। एक-एक ऑपरेटरों को लगभग 20 करोड़ से अधिक देना बाकी है। बस संचालक रोजाना हो रहे लाखों के खर्च वहन मामले में टूट चुके हैं। उस पर परिवहन विभाग प्रमुख डिम्ट्स की मदद से उन्हें सताने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

डिम्ट्स को ढो रहा विभाग
डिम्ट्स के नेतृत्व में हाल ही में एक बड़ा घोटाला सार्वजनिक हुआ, डिम्ट्स करार तो पूरी नहीं कर रहा और करार के अनुसार लगभग 100 कर्मी से काम चला रहे हैं। लेकिन मनपा से वे पूरे कर्मियों का भुगतान उठा रहे हैं। डिम्ट्स का प्रकल्प प्रमुख दिल्ली में और प्रकल्प नागपुर में इस मामलों में परिवहन विभाग प्रमुख ठोस एक्शन लेने के बजाय सिर्फ बस ऑपरेटरों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में जुटे हुए हैं। लगता है दाल में कुछ काला है.

हड़ताल के संकेत
मुख्यमंत्री कार्यालय के कारण नागपुर मनपा के परिवहन विभाग अंतर्गत कार्यरत बस चालक व कंडक्टर आदि को न्यूनतम वेतन नहीं दी जा रही है। इन्हें न्यूनतम वेतन देने के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त अनुदान जीएसटी के रूप में देना पड़ेगा। इस लिए मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री चुप्पी साध बैठे हैं। इस चक्कर में शिवसेना के शहर के कामगार सेना द्वारा आए दिन हड़ताल की धमकी दी जाती है। इससे मनपा परिवहन विभाग पर जनता का विश्वास वैसा नहीं बन पा रहा जैसा अब तक बनाना चाहिए था।


और अंत में एक तरफ मनपा परिवहन विभाग लाल बस ऑपरेटरों को दो-दो माह से करोड़ों में मासिक भुगतान नहीं दे रही। इनके हितार्थ एस्क्रो अकाउंट नहीं खोल रही। ऊपर से नए नए खर्चे जरूर लादने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। अब नया फंडा यह लाया गया है कि दौड़ रही डीजल की बसों को सीएनजी में तब्दील करने का खर्च रेड बस ऑपरेटरों से वसूला जाएगा।

रह जाएगी गडकरी की संकल्पना अधूरी
गडकरी एकमात्र जनप्रतिनिधि हैं जो शहर को प्रत्येक स्तर से दर्जेदार बनाने के लिए हर संभव प्रयत्नशील हैं। वहीं परिवहन विभाग संकल्पना को कुचलने में कोई मौका नहीं छोड़ रहा। कुल मिलाकर नए पदाधिकारी व बस संचालकों को मनपा के घाघ पदाधिकारी, नगरसेवक, प्रशासन के संबंधित अधिकारी स्वतंत्रता से जिम्मेदारी निर्वाह नहीं करने दे रहे हैं। इससे और कुछ नहीं बल्कि गडकरी की संकल्पना सकते में आ गई है।