Published On : Wed, Nov 22nd, 2017

गंदगी के बीच बंद शाला में बनेगा स्केटिंग रिंक

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नागपुर: एक तरफ राज्य भर में सर्वशिक्षा अभियान जोरों पर है तो दूसरी ओर मनपा की शालाएं बंद होती जा रही हैं. बंद शालाओं को फिर से शुरू करने के बजाय अन्य गैर जरूरी उपक्रमों को सकारने के लिए प्रशासन तत्पर है. मध्य नागपुर के बंद जलालपुरा मनपा शाला में स्केटिंग रिंक का निर्माण किए जाने का प्रस्ताव है. बंद शाला से सटे गौशाला परिसर की शोभा बढ़ा रही है. क्या इसी बिनाह पर नागपुर मनपा स्वच्छ भारत मिशन के मानकों को पूरा कर देश में अपना स्थान बनाएंगी.

मनपा में शिक्षा को लेकर गंभीरता प्रशासन कागजों पर जितनी दिखाती है, हकीकत उससे परे है. गिरती शिक्षा का स्तर और बढ़ती शैक्षणिक क्षेत्र में स्पर्धा के कारण अब तक दर्जनों मनपा शालाओं पर ताला जड़ दिया गया है. मनपा को वर्षों से राज्य व केंद्र सरकार द्वारा नियमित अनुदान दिया जा रहा है. दिए जा रहे अनुदान के उद्देश्यों को पूरा करने में मनपा प्रशासन विफल रही है. इसी वजह से मनपा शालाओं में गोर-गरीब विद्यार्थियों को ही जैसे-तैसे खुद के गुणवत्ता-इच्छा के अनुरूप पढ़ते देखे जा सकते हैं. मनपा से जुड़े प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर्मियों में से उंगलियों पर गिनने लायक कर्मियों के बच्चे मनपा शालाओं में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

बंद शाला व परिसर गंदगी-अतिक्रमण के साये में
गड्डीगोदाम स्थित मनपा शाला हो या फिर जलालपुरा मनपा शाला बंद होने के बाद या तो अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं या फिर आसपास के नागरिकों द्वारा गंदगी कर परिसर को प्रदूषित की जा रही है. नाइक तालाब से सटी मनपा शाला के बाहरी भाग में तो मिनट भर खड़े नहीं रह सकते. यह परिसर खुली शौचालय के गिरफ्त में है. गड्डीगोदाम शाला बंद होने के बाद मवेशियों को बांधा जाता था. जलालपुरा बंद शाला के बाहर गौशाला धीरे-धीरे पांव पसारते जा रही है. ऐसे में सवाल यह है कि जब शाला शुरू होगी तब विद्यार्थी बदबू में पढ़ते और आवाजाही कैसे करते हैं. अब जबकि शाला बंद हो चुकी है, इस जगह पर स्केटिंग रिंक का निर्माण होने की खबर है. ऐसे में स्केटिंग सीखनेवालों पर बीमारियों का ख़तरा बढ़ा है. मजेदार बात यह है कि शहर भर में अवैध रूप से गली-गली में गौशालाएं व तबेले हैं. इनके संचालकों की एकता के समक्ष शहर में कार्यरत सभी सम्बंधित प्रशासन बौनी साबित हो रही है, शायद इसलिए आज तक किसी अवैध तबेलों पर कार्रवाई कर उसे बंद नहीं किया गया. ऐसा ही कुछ आलम जलालपुरा मनपा के बंद शाला के समक्ष है, कुछ दूरी पर पुलिस चौकी है, जिसके सामने भी पशुएं बांधी जाती हैं, परंतु पुलिस प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है.

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तबेलों पर मेहरबान ‘कनक’
शहर भर में पॉश इलाकों और दबंग नगरसेवकों के निर्देशों पर ‘कनक’ सक्रिय है, ‘कनक’ इस संबंध में प्रचारित यह करती हैं कि इनके मुख पर चुप्पी इसलिए है क्योंकि इनके ही सिफारिशों पर कई लोगों को ‘कनक’ के बेड़े में शामिल किया गया है. शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां न नियमित साफ़ कर्मी तैनात हैं और न साफ़-सफाई होती हैं. जब साफ़-सफाई नहीं होती तो कचरा संकलन के लिए ‘कनक’ नहीं पहुंचती. शिकायत हुई तो दूसरे दिन साफ़-सफाई के बाद गायब हो जाते हैं. लेकिन जलालपुरा बंद मनपा शाला से सटे तबेले संचालकों द्वारा जमा गोबर आदि को उठाकर अपने बड़े वाहन से ले जाते ‘कनक’ सक्रीय दिखी. स्थानीय लोगों के अनुसार तबेलों पर इतनी मेहरबानी जरूर दाल में काला हैं.

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