नागपुर: देश के संविधान में यह साफ़-साफ़ उल्लेखित है कि ग्राम पंचायत से राष्ट्रपति तक के कार्यकाल के समाप्ति पश्चात चुनाव करवाया जाता है। एक बार चुनाव हो गया कि पुराने कार्यकाल के सभी पदाधिकारी का कार्यकाल आपोआप निरस्त हो जाता है। लेकिन नागपुर महानगरपालिका में ” अंधेर नगरी चौपट राजा” की कहावत चरितार्थ हो रही है।
हुआ यूँ कि गत माह मनपा का आम चुनाव संपन्न हुआ। इसके बाद महापौर,उपमहापौर सह स्थाई समिति अध्यक्ष सह पक्ष-विपक्ष नेता का भी चुनाव हो चूका है। बड़े पदों में से सिर्फ स्थाई समिति अध्यक्ष का चुनाव होने शेष है, जो कि 11 मार्च को होने वाला है।
उल्लेखनीय यह है कि मनपा चुनाव के बाद से ही मनपा परिवहन समिति के सभापति बाल्या उर्फ़ नरेंद्र बोरकर ( पुनः मनपा चुनाव जीत नगरसेवक बने ) बतौर सभापति अपने कक्ष का इस्तेमाल, अपने पिछले अधिकार का दुरुपयोग, समिति की अहम् बैठक, नए ऑपरेटरों के लिए हुई नियुक्तियों में हस्तक्षेप कर रहे हैं और हर जगह खुद को बतौर सभापति दर्शा रहे है। जबकि क़ानूनी रूप से उक्त कृत गैरकानूनी है।
उक्त घटनाक्रम की जानकारी मनपा प्रशासन सह नवनिर्वाचित महापौर सहित सभी पदाधिकारियों को है, इसके बावजूद उनकी चुप्पी समझ से परे है। सत्ताधारी पक्ष के एक नेता के अनुसार बोरकर भाजपा नेता द्वय नितिन-देवेन्द्र का खास तो है ही, इस बार चुनकर आये दिग्गज भाजपा पार्षदों का भी हमखास है, इसलिए उसके गैरकृत पर महापौर सह प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। दूसरी ओर यह कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होंगी कि नागपुर मनपा में ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का राज चल रहा है। सत्ता की लाठी भी उसी के हाथ होने से बोरकर की तूती सर चढ़ कर बोल रही है।
