नागपुर : मनपा की आर्थिक स्थिति सचमुच तंग हाल में हैं. प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जीव के साथ ही साथ निर्जीव भी मायूस हो गए हैं. सभी चिंतित भी हैं,शायद इसलिए मुख्यालय के नई प्रशासकीय इमारत के ऊपर स्थापित ‘एनएमसी’ से ‘एम’ नदारत होकर कही सहल चला गया या फिर मायूस या बीमार पड़ा इलाज करवा रहा होगा.
मनपा के तंग हाली के लिए जिम्मेदार स्वयं मनपा प्रशासन ही हैं. उक्त नई प्रशासकीय इमारत के निर्माण की शुरुआत १८ करोड़ से हुई थी जो आज १०० करोड़ के करीब पहुँच गईलेकिन पूर्ण नहीं हुई. जब कभी पूर्ण होगी १२५-१५० करोड़ ‘टच’ कर जाएगी. अर्थात नियोजन का आभाव. यह तो उदहारण है पिछले २ दशक से मनपा द्वारा किए कार्यों का ‘सोशल ऑडिट’ किया जाए तो जायज और नाजायज किए गए खर्च का प्रमाण मिल जाएगा.
इतना ही नहीं मनपा की संपत्ति के अंकेक्षण की मांग कुछ वर्षों से मोदी फाउंडेशन उठा रहा है लेकिन प्रशासन की कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही.
ऑडिट और निगरानी नहीं रखने के कारण अतिक्रमणकारी हथियाते जा रहे हैं. इन सम्पत्तियों का अंकेक्षण कर प्रशासन ने अपने कब्जे में लेकर सदुपयोग किया तो कड़की दूर भाग सकती है.
आज तो यह आलम है कि कुकरेजा द्वारा प्रस्तुत बजट ‘इम्प्लीमेंट’ तो हो गया लेकिन ४-५ मद के जरूरी खर्च की अनुमति दी गई. शेष मद आर्थिक परिस्थिति के सुधरने पर खर्च की अनुमति दी जाएंगी या फिर नहीं भी. उक्त हालत से मनपा नगरसेवक के साथ पदाधिकारी भी मायूस हैं.