Published On : Sat, Jun 23rd, 2018

मनपा में मुखिया से ज्यादा निचले अधिकारी का वेतन, विपक्ष मसले को बना सकती है निशाना

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नागपुर: आम तौर पर किसी भी संस्थान के मुखिया का वेतन दूसरे कर्मचारियों से ज्यादा होता है. लेकिन नागपुर मनपा इस मामले में इत्तेफाक रखता है. यहां मनपा मुखिया से ज्यादा दूसरी कतार के एक अधिकारी का वेतन है, जो इन दिनों मनपा के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

हुआ यूँ, जब तत्कालीन मनपा आयुक्त श्रावण हर्डीकर का पिंपरी-चिंचवड़ मनपा में तबादला का आदेश जारी हो गया था, तब अंतिम वक़्त में तत्कालीन मनपा के अतिरिक्त आयुक्त रामनाथ सोनावणे ने हर्डीकर को याद दिलवाया था कि जल्द ही उनका कार्यकाल खत्म होनेवाला है. लिहाजा सिटी के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी का उन्हें मुखिया बना दिया जाए. हर्डीकर ने अपना वादा पूरा करते हुए सोनावणे को स्मार्ट सिटी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने की घोषणा कर चले गए.

इसके बाद आज तक स्मार्ट सिटी प्रकल्प कागजों पर इतनी सुलभ तरीके से दौड़ाई गई कि देश में नागपुर के स्मार्ट सिटी प्रकल्प का क्रमांक पहले गिने-चुने प्रकल्पों में गिना जाने लगा. इसी दौरान केंद्र-राज्य सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी प्रकल्प के लिए घोषित अनुदान और निधि में से तकरीबन ३५० से ४०० करोड़ मनपा को प्राप्त हो चुके हैं. लेकिन हक़ीक़त में स्मार्ट सिटी परियोजना में रत्तीभर ढेला तक नहीं सरका.

विडंबना तो यह रही कि इसी बीच स्मार्ट सिटी के मुखिया ने कई उपसूचना प्रस्तुत कर खुद के मासिक आय के साथ अन्य सुविधाओं के मामले में मनपा आयुक्त के मुकाबले दोगुणा पार कर चुके हैं. लेकिन न प्रशासन और न ही वित्त विभाग ने इस मामले पर कोई सुध ली है. फिलहाल स्मार्ट सिटी के मुखिया की नियुक्ति २ साल की होती है. इस दौरान इनका मासिक वेतन २ लाख, २५००० घर भाड़ा, दौरे के लिए २५०० प्रति दिन. शहर के बहार आवाजाही के लिए विमान यात्रा, साप्ताहिक सह सरकारी छुट्टी के अलावा ३८ दिन की अतिरिक्त विशेष अवसर पर छुट्टी का करार हुआ है. ऐसे में आम जनता के मन में बेहद बुनियादी सवाल खड़ा होता है कि मनपायुक्त के अधीन काम करनेवाले अधिकारी का वेतन उनसे ज्यादा कैसे जाता है.

इसके कारनामें के लिए सत्तापक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर वित्त विभाग जिम्मेदार बतलाये जा रहे हैं.
स्मार्ट सिटी अंतर्गत मुखिया के साथ कुछ अन्य पदों पर बढ़े वेतनश्रेणी के साथ मनपा के अधिकारी सह कर्मी तैनात किए गए हैं. शायद यही वजह भी हो सकती है कि नागपुर का युवा पिछले १५ वर्षों से नियमित पलायन करता जा रहा है और नागपुर ‘रिटायर्ड लोगों की सिटी’ बनते जा रही है.

उक्त मामले की जानकारी सत्तापक्ष में तब हलचल मचाई जब सत्तापक्ष के प्रभावी नगरसेवकों सिफारिश पर स्मार्ट सिटी प्रकल्प के कार्यों के लिए की जाने वाली नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करने दिया गया है. तह में जाने पर इन नगरसेवकों को जानकारी मिली की महापौर के समक्ष उपसूचना के तहत स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वेतन सह सुविधा में बढ़ोत्तरी प्रस्ताव पर जाने-अनजाने में हस्ताक्षर ले लिया गया.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त मामले को विपक्ष मनपायुक्त पद की गरिमा से खिलवाड़ बताते हुए जल्द ही यह विषय मनपा विशेष या आमसभा में लाने की तैयारी कर रहा है. तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा. लेकिन कब से स्मार्ट सिटी प्रकल्प के तहत जमीनी कार्य शुरू होगा यह फिलहाल साफ नहीं.