नागपुर. वर्ष 2017 के आम चुनावों में जीतकर आने के बाद संबंधित पार्षदों और पदाधिकारियों का 5 वर्ष का कार्यकाल खत्म हो गया है. नियमों के अनुसार अब पार्षदों और पदाधिकारियों को उनके नाम के आगे ‘पूर्व’ शब्द का उपयोग करना अनिवार्य है. इसके बावजूद कई सार्वजनिक कार्यक्रमों तथा अन्य कार्यक्रमों के लिए तैयार होने वाली पत्रिकाओं तथा सोशल मीडिया पर प्रसारित व प्रचारित होने वाले अंशों में उनके नाम के साथ पदनाम का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है.
अत: अब ‘पूर्व’ शब्द का उपयोग नहीं करने पर संबधित संस्था के पदाधिकारियों या सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यहां तक कि पदाधिकारी रहे पार्षदों एवं अन्य पार्षदों की ओर से इसका उल्लंघन किए जाने पर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होने की चेतावनी मनपा ने जारी की गई. इसी प्रकार मनपा के प्रतीक चिह्न का उपयोग किए जाने पर भी कार्रवाई की जाएगी.
नहीं छूट रहा पद का लालच
सूत्रों के अनुसार 4 मार्च को ही सभी पार्षद ‘पूर्व’ हो चुके हैं लेकिन उनका पद का लालच बरकरार है. यहां तक कि कई पार्षद इस संदर्भ में दलील देते नहीं थकते कि जब तक संबंधित प्रभाग में कोई नया पार्षद नहीं बन जाता, तब तक वे ही इस प्रभाग के पार्षद हैं. पूर्व पार्षद कहलाने में भी उनकी ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज की जाती है.
सूत्रों के अनुसार कुछ पार्षदों ने नई प्रभाग रचना के अनुसार अपना प्रभाग तक सुनिश्चित कर लिया. इसके बाद से संभावित प्रभाग की अलग-अलग बस्तियों में कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जहां पदाधिकारी और पार्षद मुख्य अतिथि के रूप में बुलाए जा रहे हैं. इसके लिए कार्यकर्ताओं के माध्यम पत्रिकाएं छपवाई जा रही हैं जिनमें पदों का विशेष उल्लेख करने की हिदायत पार्षदों ने दे रखी है. अब प्रशासक ने इसे गंभीरता से लिया है जिससे कई पूर्व पार्षदों और पदाधिकारियों पर गाज गिरने से इनकार नहीं किया जा सकता.
प्रशासक का दूसरा ‘वार’
मनपा प्रशासन द्वारा अपील के स्वर में उक्त चेतावनी तो दी गई है. यह भी स्पष्ट किया गया कि मनपा में प्रशासक की नियुक्ति होते ही पार्षद और पदाधिकारी अब ‘पूर्व’ हो गए हैं जिससे नियमों की चौखट में उन्हें सार्वजनिक व्यवहार करना होगा. सूत्रों के अनुसार हाल ही में मनपा प्रशासक राधाकृष्णन बी. ने मनपा मुख्यालय में पदाधिकारी और राजनीतिक दलों के गुट नेताओं आदि के कक्षों को ताला ठोकने के आदेश दिए थे. यहां तक कि संबंधित पदाधिकारी और गुट नेताओं को आवंटित पीए और अन्य कर्मचारियों का अलग-अलग विभागों में तबादला कर दिया गया था.
अब प्रशासक का यह दूसरा ‘वार’ है जिसमें मनपा के प्रतीक चिह्न का उपयोग नहीं करने तथा पद नाम से पहले ‘पूर्व’ का उल्लेख करने की अनिवार्यता लागू कर दी गई है. प्रशासक की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार अनजाने में या जानबूझकर भी किसी पूर्व पार्षद या पूर्व पदाधिकारी से यह गलती नहीं होनी चाहिए. पूर्व पार्षदों की ओर से प्रतीक चिह्न और लेटरहेड का उपयोग किए जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं जिसे लेकर अब कार्रवाई शुरू की जाएगी.