Published On : Tue, Nov 18th, 2014

नागपुर : पुरस्कार तक ही सीमित रह गया है निर्मल ग्राम अभियान!

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अनेक पुरस्कार प्राप्त गाँव की स्थिति बिगड़ी


पुनः समग्र अभियान संचालित करने की ज़रूरत

सवांदाता / निशांत टाकरखेड़े

नागपुर ग्रा.। ​​संत गाडगेबाबा के स्वच्छता के मूलमंत्र से प्रेरणा लेकर सरकार ने स्वच्छता अभियान ग्रामीण स्तर पर संचालित किया. राज्य सरकार के संत गाडगेबाबा ग्राम स्वच्छता अभियान व राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज अभियान पुरस्कार प्राप्त गाँव उभर कर सामने आये. स्वच्छ गाँव की संकल्पना साकार करने के लिए सरकार विविध योजनाऐं संचालित कर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी आज भी स्वच्छ गाँव की संकल्पना साकार करने की जरूरत होने से इसमें सफलता नहीं मिलने के संकेत मिल रहे हैं. कई निर्मल ग्राम गाँवों में अपशिष्ट का साम्राज्य दिखने से निर्मल ग्राम अभियान पुरस्कार देने तक ही सीमित होने का परिदृश्य नज़र आ रहा है.

एक सघन तहकीकात के अनुसार, गाँवों की अशुद्ध व अस्वच्छ अनेक परिसरों से बीमारियां पनपने से नागरिकों का जीवन ऊँचा होने की बजाय नीचे की और जा रहा है. उपलब्ध साधनों के योग्य उपयोग नहीं होने से गाँवों में भयावह स्थिति निर्माण हो रही है. इस अभियान की सफलता के लिए 2002 को एक स्पर्धा के माध्यम से शुरू की गई थी. मगर फ़िलहाल अनेक कारणों से यह अभियान ठंडा पड़ गया है. फिर गोदरीमुक्त गाँव योजना सुधारित अधिनियम को 22 सितम्बर 2009 से प्रभावी ढंग संचालित करने के निर्देश गया. इसके अंतर्गत गाँव के रास्ते पर शौच करने पर 2 हज़ार रुपये दण्ड व 2 वर्ष की कारावास की सज़ा देने का फरमान जारी किया गया. पर आज तक इस योजना को प्रभावी ढंग से अमल नहीं किया और न ही किसी पर कार्रवाई की गई. इसके लिए केंद्र सरकार ने 2003 से निर्मल ग्राम पुरस्कार शुरू किया था. इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है. अनेक गाँवों को 1 लाख से 5 लाख तक पुरस्कार दिया गया. किन्तु पुरस्कार प्राप्त ग्रापं स्वच्छता पर कोताही बरतने से स्थितियां पुनः बिगड़ती गईं, अब वैसे गाँवों में रोगों का डेरा है. जिन ग्रापं ने उल्लेखनीय कार्य किया है, उन ग्रापं के साथ ही अन्य गाँवों में संत गाडगेबाबा अभियान प्रभावी रूप से संचालित करने की ज़रूरत है.

Sant gadgebaba Gram swachata abhiyan

Representational Pic