Published On : Fri, Nov 21st, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

निर्मल को-ऑपरेटिव में करोड़ों का घोटाला, हाईकोर्ट ने CBI जांच का आदेश

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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निर्मल को-ऑपरेटिव सोसायटी में हुए कथित करोड़ों के घोटाले पर कड़ा रुख अपनाते हुए मामले की जांच CBI को सौंपने का बड़ा आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति राज वाकोड़े की पीठ ने कहा कि लाखों जमाकर्ताओं का हित सर्वोपरि है, इसलिए निष्पक्ष जांच अनिवार्य है।

मामला क्या है?

नागपुर स्थित निर्मल को-ऑपरेटिव सोसायटी की महाप्रबंधक नंदा बांते ने याचिका दायर कर राज्य सरकार और पुलिस पर “राजनीतिक दबाव में अनावश्यक कार्रवाई” का आरोप लगाया था। उनका दावा था कि पहले की जांचों में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई, फिर भी पुलिस लगातार रिकॉर्ड मांगकर दबाव बना रही है।

उन्होंने पुलिस आयुक्त के 29 जून 2023 के पत्र को रद्द करने की मांग की जिसमें सोसायटी में करोड़ों की अनियमितताओं का उल्लेख था और MPID एक्ट, IPC और मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

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सोसायटी दिवालिया होने की कगार पर

पिछली सुनवाई में अदालत के सामने यह तथ्य आया कि सोसायटी की वित्तीय हालत चरमराई हुई है और जल्द कार्रवाई न होने पर जमाकर्ताओं का पैसा डूबने का खतरा है।
पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट में करोड़ों की वित्तीय गड़बड़ियों का उल्लेख था, लेकिन रिपोर्ट के बावजूद अमल नहीं हुआ।

इस पर अदालत ने केंद्रीय सहकारी सोसायटी रजिस्ट्रार से विस्तृत जवाब मांगा था।

पुलिस की निष्क्रियता पर अदालत की नाराज़गी

रजिस्ट्रार के हलफनामे में कहा गया कि FIR दर्ज करने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं थी। इसके बावजूद पुलिस की निष्क्रियता पर अदालत ने आश्चर्य जताया।

अदालत ने कहा:
“जब कानून में अनुमति की कोई बाध्यता नहीं, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?”

अब CBI करेगी पूरे मामले की जांच

गुरुवार की सुनवाई में हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI को तत्काल FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया।
सोसायटी में प्रशासक नियुक्त करने की मांग अदालत ने खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा उचित फोरम में उठाया जाए।

कौन-कौन पहुंचे अदालत में?

केंद्रीय रजिस्ट्रार की ओर से: वरिष्ठ विधिज्ञ फिरदोस मिर्जा, एड. निरजा चौबे
राज्य की ओर से: एड. संजय डोईफोडे
याचिकाकर्ता की ओर से: एड. भूषण डाफले

निर्मल को-ऑपरेटिव में कथित वित्तीय अनियमितताओं ने सहकारी संस्थाओं पर भरोसे को फिर सवालों में खड़ा कर दिया है।
हाईकोर्ट की सख़्त टिप्पणी और CBI जांच का आदेश यह दिखाता है कि मामला बेहद गंभीर है।
अब हजारों जमाकर्ताओं की निगाहें CBI की कार्रवाई पर टिकी हैं।

 

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