Published On : Fri, Jan 20th, 2017

राज्य में महापौरों का ओहदा बढ़ेगा!

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  • राज्य सरकार कर रही विचार
  • मनपा में तकनीकी रूप से स्थायी समिति अध्यक्ष होता है वजनदार

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नागपुर:
राज्य के प्रमुख महानगरपालिकाओं में अगले माह चुनाव है। इन चुनावों में यदि सत्ताधारी भाजपा को अधिकांश महत्वपूर्ण मनपा में महापौर पद हासिल हुआ तो वे सम्पूर्ण मनपाओं के महापौरों का वजन ( आर्थिक अधिकार व अधिकार ) बढ़ा देंगे, ताकि राज्य सरकार की मनमाफिक मनपा का संचलन किया जा सके। इसके तहत महापौर निधि काफी हद तक बढ़ा दी जाएगी, साथ ही स्थायी समिति में भी महापौर की स्थायी उपस्थिति की व्यवस्था बनायी जाएगी।

इस समय महापौर के अधिकार स्थायी समिति अध्यक्ष और मनपा आयुक्तों के आर्थिक अधिकार के बनिस्बत काफी मामूली हैं। किसी भी मनपा में स्थायी समिति अध्यक्ष, आर्थिक अधिकार के मामले में महापौर से काफी ज्यादा प्रभावी होता है। इसके साथ ही मनपा आयुक्त भी महापौर से आर्थिक अधिकार मामले में वजनदार होता है। बिना आर्थिक अधिकार के महापौर का पद सिर्फ “बिना गोली के बन्दूक” जैसा प्रतीत होता है। इससे केंद्र या राज्य या फिर दोनों में जिसकी सत्ता हो और उसी दल की मनपा में सत्ता हो तो विकास कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुँचाने में आसानी/सरलता होती है।

इसलिए भाजपा प्रणीत राज्य सरकार ने योजना बनाई है कि राज्य के मनपा चुनावों में से अधिकांश प्रभावी मनपा पर भाजपा का महापौर बना तो तय रणनीति के तहत महापौर के आर्थिक वजन और अधिकार में बढ़ोतरी का अध्यादेश कानूनन जारी किया जायेगा।

इसमें महापौर निधि में भरी इजाफे के साथ महापौर को स्थायी समिति में मानद सदस्यता का जिक्र अध्यादेश में करने की मंशा है।

आज महापौर को दिए गए निधि के अधिकार से मांगकर्ताओं की मांग न के बराबर ही पूरी हो पाती है। कई बार ऐसा होता है कि पिछले महापौर अतिरिक्त प्रस्तावों पर आने वाले महापौर की निधि आवंटित कर देते हैं, जिसे उसी पक्ष के आने वाले महापौर बिना नाकारे निधि आवंटित करने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में नए महापौर के समक्ष नए मांगकर्ता को निधि देने के लिए निधि नहीं बचती है, तब महापौर जैसे महत्वपूर्ण पर आसीन व्यक्ति खुद को ठगा सा महसूस करता है।