राज्यपाल के आगमन को देखते हुए किया सूधार
यवतमाल। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव का यवतमाल दौरा देखते हुए उनके रुकने के स्थान और जिस रास्ते से वे गुजरनेवाले है वहां जिला प्रशासन ने सुधार किया है. इतना ही नहीं तो इस रास्ते पर बने रोड़ डिवाईडर पर अबतक लाईट नहीं लगाए गए थे. वह आज आनन-फानन में शुरू किए गए है. उसी प्रकार इस रास्ते पर पड़े गड्ढों को भी ठिक किया गया है. उसी प्रकार जिलाधिकारी कार्यालय के कम्पाउंड वॉल से सटे गेट में भी आने-जाने के लिए व्यवस्था की गई है. पहले इस स्थान पर से आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. जिससे लोग परेशान थे, मगर अब वहां पर भी ऐसी व्यवस्था की गई है ताकि लोग आसानी से उनके वाहनों से आ-जा सकते है. कुल मिलाकर जिला प्रशासन ने राज्यपाल के आगमन की तैयारियां पूरी तरह से कर ली है.
पुलिस ने भी आज रंगीत तालीम की
पुलिस ने भी यवतमाल शहर के दौरे को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बंदोबस्त, हर चौराहे और रास्तों पर यातायात पुलिस कर्मी आदि तैनात कर राज्यपाल का काफिला कितनी देर में कहां से गुजरेगा वैसा समय अडजेस्ट कर उसकी रंगीत तालीम भी आज शाम को पूरी की है. उसी प्रकार झरीजामणी के दुभतीपोड़ और केलापूर के गोपालपूर के दौरे के स्थानों पर भी विशेष पुलिस बंदोबस्त लगाया गया है. इस बंदोबस्त के लिए यवतमाल जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय से भी पुलिस को दल को भेजा गया है. उसी प्रकार होम डीवाईएसपी एस.डी. राऊत ने भी आज सुबह पांढरकवड़ा जाकर तैयारियों का जायजा लिया. पेसा के 6 तहसीलों के कर्मचारियों ने प्रशिक्षण को दिखाई पिठ पेसा के तहत आनेवाली 6 तहसीलों के कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था. जिसमें 166 ग्रामपंचायतों के ग्रामसेवक, पटवारी और संबंधित अधिकारियों को शामिल होना अनिवार्य था. यह प्रशिक्षण जिला परिषद के ग्रामीण विकास यंत्रणा के प्रकल्प संचालक विनय ठमके ने आयोजित किया था.
जिसमें पेसा के तहत आनेवाले गांवों के अधिकारियों को कौन से विशेष अधिकार प्राप्त है? आदि की बारे में जानकारी दी जानेवाली थी. मगर अधिकांश कर्मचारियों ने इस प्रशिक्षण को पिठ बताने से उन्होंने यह प्रशिक्षण समय से पहले ही खत्म कर दिया. पेसा (पंचायत अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) में राष्ट्रपति ने विशेष अधिकार दिए है. जिसमें 50 फिसदी से ज्यादा आदिवासी रहते है. इसमें 335 गांव, 109 वाडीबस्ती और 89 तालाबों का समावेश है. इन गांवों में सरकारी कर्मचारी नियुक्ति का अधिकार भी ग्रामसभा को दिया गया है. इतना ही नहीं कि उन गांवों में निकलनेवाले जंगलों, वन खनिजों, तालाबों की सभी मिलकियत पर संबंधित ग्रामसभा का अधिकार होता है.
