Published On : Fri, Sep 19th, 2014

देवली : न उम्मीदवार तय और न मुद्दे ही

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क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण, भय और डर भी


देवली (वर्धा)। 
विधानसभा चुनाव के दौरान इसके पहले ऐसा तनावपूर्ण वातावरण कभी नहीं देखा गया. देवली-पुलगांव विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में गजब का रोमांच आ गया है, भय और डर भी है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. कोई किसी के साथ भी बैठ सकता है. दो दिन बाद ही पर्चा भरना शुरू होने वाला है, मगर अभी तक न भाजपा-शिवसेना महायुती के और न ही कांग्रेस-राकांपा के उम्मीदवार तय हुए हैं. परिणाम, कार्यकर्ता घरों में बैठे इंतजार कर रहे हैं.

शिवसेना आक्रामक
दोनों बड़े गठबंधन अभी तक सीट बंटवारे पर एकमत नहीं हो सके हैं. इसका खामियाजा आगे भुगतना पड़ सकता है. हाल में आए उपचुनावों के नतीजों में भाजपा की पराजय के चलते शिवसेना कुछ अधिक ही आक्रामक हो गई है. न मुद्दे तय हो सके हैं और न उम्मीदवार ही.

मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी
देवली-पुलगांव विधानसभा क्षेत्र में 2014 के विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा सकते हैं. विकास ही प्रचार का मुद्दा भी बन सकता है. इस बार पिछले चुनाव की तुलना में मतदाताओं की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है. ये मतदाता किसी भी उम्मीदवार का गणित बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं.

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कांग्रेस मोर्चा के वोटों में आई कमी
फिलहाल क्षेत्रों में जारी आरोप-प्रत्यारोप का असर भी मतदाताओं पर पड़ सकता है. कांग्रेस मोर्चा (आघाडी) के वोटों में कमी आई है. लोकसभा चुनाव के दौरान महायुती को अधिक वोट मिले हैं. लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग-अलग होते हैं. अब तो मोदी फैक्टर भी असरदार नहीं रहा है. इसके चलते सांसद तड़स और विधायक कांबले गुट आत्मविश्वास के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन जीत किसकी होगी, यह सवाल ही है.

Representational pic

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