Published On : Mon, Apr 26th, 2021

मेडिकल हॉस्पिटल की लापरवाही: कोविड़ मरीज को वेंटिलेटर के टूटे हुए पाइप से दिया सपोर्ट

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मरीज के बेटे का डॉक्टरों पर बड़ा आरोप

नागपुर– कोरोना से नागपुर शहर के हालात काफी खराब हो चुके है. सरकारी हॉस्पिटलों की हालत और ज्यादा खराब है. संसाधनों की कमी के साथ साथ डॉक्टरों की लापरवाही और मरीजो के साथ मेडीकल स्टाफ के बुरे बर्ताव के मामले भी बढ़ते जा रहे है. ऐसा ही एक मामला मेडीकल हॉस्पिटल में सामने आया है. जिसमें हॉस्पिटल में भर्ती पीड़ित मरीज के बेटे ने इस हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर लापरवाही और मरीज को लेकर यहां के डॉक्टर सीरियस नही है, ऐसा आरोप भी लगाया है.

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जानकारी के अनुसार 54 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन कोरोना पॉजिटिव है, उनको इलाज के लिए अमरावती में भर्ती किया गया था, इसके बाद वहां से उन्हें धंतोली के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए उनके परिजनों ने लाया. लेकिन इस हॉस्पिटल ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया. इसके बाद उनके बेटे ने उन्हें मेडीकल हॉस्पिटल में एडमिट कराया है. मेडीकल हॉस्पिटल के कोविड सेन्टर में वे फिलहाल भर्ती है और उनकी हालत नाजुक है.

‘ नागपुर टुडे ‘ को उनके बेटे ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले एक हफ्ते से उनके पिता कोरोना पॉजिटिव है और उनको मेडिकल हॉस्पिटल के कोरोना सेंटर में एडमिट किया गया है.

इसके साथ ही यहां के डॉक्टरों की लापरवाही और उनके व्यवहार को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई है. उन्होंने बताया कि मरीज की तबियत खराब होने पर भी डॉक्टर अंदर जाकर मरीज की तबियत की जांच नही करते है, अपने केबिन में बैठकर दिनभर मोबाइल में लगे रहते है, उनको जब मरीज के परिजन तबियत के बारे में पूछते तो उनसे बात तक नही की जाती है, डॉक्टर यहां तक कहते है कि एक मरीज के लिए पीपीई किट पहनकर नही जा सकते. उन्होंने कहा कि इस वार्ड की नर्सेज कभी भी अंदर नही जाती है, वो अपने केबिन से बाहर ही नही निकलती है. वार्ड के भीतर केवल साफसफाई करनेवाले कर्मचारी ही जाते है. इसके साथ डॉक्टर केवल अपने समय पर जाते है. इसके कारण डॉक्टर को पता ही नही चल पाता है मरीज की हालत के बारे में.

मरीज के बेटे ने मेडीकल हॉस्पिटल पर लापरवाही का आरोप भी लगाया है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वेंटिलेटर का जो एक पाइप रहता है, वो लंग्स के सपोर्ट के लिए लगा रहता, वो पाइप यहां के डॉक्टर ने ठीक से नही लगाया था, यहां की नर्सेज देखभाल नही करती , इसलिए हमने एक निजी नर्स को रखा है, जब हमारी निजी नर्स मेरे पिताजी के पास पहुंची, तो उन्होंने बताया कि वेंटिलेटर का जो पाइप है, वो ठीक से नही लगा है. इसके बाद मेरे पिताजी का ऑक्सिजन लेवल काफी कम हो गया था, हमने डॉक्टरों के हाथ पैर जोड़े, मिन्नते की, इसके बाद डॉक्टर ने कहा कि शाम को जो डॉक्टर आएंगे, वो ठीक करेंगे. दिनभर मेरे पिताजी का ऑक्सीजन लेवल कम था, रात को जब एक डॉक्टर आए और वे पीपीई किट पहनकर अंदर गए, तो उन्होंने देखा तो जो पाइप था, वो टूटा हुआ था. इसके बाद जब पाइप बदला गया, तो पिताजी का ऑक्सिजन लेवल बढ़ गया. जो टूटा हुआ पाइप था, उसमें ब्लॉकेज भी था.

इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि इतने देर इस स्थिति में रहने के कारण आपके मरीज का ब्रेनडेड हो गया है, जिसके बाद हम काफी घबरा गए, लेकिन 3 घंटे के बाद मेरे पिता के शरीर मे हलचल हुई, इस बारे में जब हमने डॉक्टर को जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि ब्रेनडेड नही हुआ है, वे ठीक भी हो सकते है. मरीज के बेटे ने बताया कि अभी उनका ऑक्सिजन लेवल ठीक है, लेकिन हार्ट रेट कम है.

मरीज के परिजनों का यह भी कहना है कि मरीज की तबियत अगर ज्यादा खराब हो जाए तो वार्ड में मौजूद डॉक्टर्स और नर्सेस बिल्कुल भी अंदर नही जाती है. इस बारे में मरीज के पीड़ित बेटे ने अजनी पुलिस स्टेशन में डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर शिकायत भी की है.

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