घोर गरीब आदिवासी लड़कियों के विवाह हेतु आर्थिक मदद की दृष्टि से डेढ़ दशक पूर्व राज्य सरकार ने आदिवासी कन्यादान योजना शुरू की। इस योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह में शामिल होनेवाले प्रत्येक वधु (कन्या) को १० ग्राम का मंगलसूत्र एवं जीवन उपयोगी बर्तन , एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प देवरी अंतर्गत वितरित किए जाने थे, तद्हेतु इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि, इन्होंने कन्यादान योजना के लाभार्थियों की सूची महज कागजों पर बनायी और कन्यादान योजना के तहत ९ लाख ६० हजार रूपये की मंगलसूत्र राशि खुद के निजी स्वार्थपूर्ति हेतु डकार ली। जीवन उपयोगी बर्तन योजना में ३ लाख ९ हजार रुपये का फर्जीवाड़ा किया, साथ ही आदिवासी किसानों को सबल और सक्षम बनाने हेतु उन्हें दुधारू पशु देने की योजना इस विभाग के तहत थी, जिसमें ३२ गाय के वितरण में फर्जीवाड़ा हुआ और २ लाख ३८ हजार ६०८ रूपये गाय के नाम पर हजम कर गए।
इस तरह इन दोनों अधिकारियों ने योजना के तहत किसी भी प्रकार के कोई पुख्ता कागजपत्र शासन को सादर नहीं किए और ना ही सामूहिक विवाह के आयोजन के संदर्भ में प्रत्यक्ष प्रमाण ही प्रस्तुत किए। प्रकल्प अधिकारी के जवाबदार पद पर रहते हुए उक्त दोनों ने खुद के फायदे हेतु राशि का गबन किया और शासन को धोखाधड़ी का शिकार बनाया।
गौरतलब है कि, आदिवासी कन्यादान योजना कई जिलों में कागजों पर चलाई जा रही है, इस तरह की लगातार शिकायतें आने के बाद सरकार ने इस योजना में गत कुछ वर्षो से परिवर्तन किया है और जो संस्था सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन करती है, उसे अब १० हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है तथा शेष रकम नवदम्पति के बैंक खाते में ट्रान्सफर की जाती है, ताकि सही लाभार्थी तक इसका लाभ पहुंचे।
रवि आर्य