– राज्य में सरकार बनाने को लेकर जारी राजनीतिक गतिरोध ख़त्म होता नजर आ रहा,एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच बैठक के बाद जल्द सरकार बनाने का ऐलान,शिवसेना के साथ एनसीपी सीएम पद 2.5-2.5 साल के बीच बांटने पर जोर दे सकती ह,एनसीपी- कांग्रेस और शिवसेना के बीच ‘हिंदुत्व’ बनाम ‘सेकुलर’ का बड़ा पेच सुलझा
मुंबई: राज्य में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से जारी राजनीतिक गतिरोध अब ख़त्म होता नजर आ रहा है। महाराष्ट्र में आज बैठकों का दौर जारी है। कल कांग्रेस – एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच काफी देर तक चली बैठक के बाद जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का ऐलान किया गया।
संभावना हैं कि अब एनसीपी अगले दो दिनों तक शिवसेना के साथ बातचीत करेगी। इस दौरान एनसीपी मुख्यमंत्री पद 2.5-2.5 साल के बीच बांटने पर जोर दे सकती है।दूसरी तरफ एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच गठबंधन में एक बड़ा पेच ‘हिंदुत्व’ बनाम ‘सेकुलर’ को लेकर भी फंसा हुआ था जिसे अब सुलझा लिया गया है।
आज चल रहा बैठकों का दौर
कांग्रेस और एनसीपी पहले अलग-अलग बैठकें कर रहे हैं फिर दोपहर में शरद पवार के घर पर दोनों दलों की बैठक होगी। माना जा रहा है कि देर शाम तक सरकार गठन का ऐलान किया जा सकता है। कांग्रेस भी एनसीपी और शिवसेना से मंत्रालयों को लेकर जमकर मोलभाव कर रही है। कांग्रेस सीएम की कुर्सी की तरह प्रमुख मंत्रालयों को बारी-बारी से प्राप्त करने की कोशिश कर रही है।
एनसीपी के साथ सीएम की कुर्सी बांटेगी शिवसेना?
सरकार बनाने को लेकर अगले दो दिनों तक चलने वाली बातचीत में एनसीपी अब शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद बांटने के लिए मोलभाव पर ज्यादा जोर देगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शिवसेना मोलभाव की एनसीपी की ताजा कोशिशों पर किस हद तक सहमत होती है. एनसीपी ने विधानसभा चुनाव में शिवसेना से मात्र दो सीटें कम जीती हैं। एनसीपी के 54 और शिवसेना के 56 विधायक हैं।
अब मंत्रालयों के बंटवारे पर होगी चर्चा
एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना की एक ‘समन्वय समिति’ भी काम कर रही है जो गठबंधन को अंतिम रूप दे सकती है। यही समिति हिंदुत्व जैसे कठिन मुद्दों का भी हल निकाल सकती है। अगले दो दिनों तक चलने वाली इस बातचीत में ही एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर भी चर्चा की जाएगी। बता दें कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के घर पर दो दौर की बातचीत के बाद सरकार बनाने का ऐलान किया गया।
राज्य की जनता को राज्य में एक स्थिर सरकार चाहिए,न की पुनः चुनाव। कांग्रेस से राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने की जरूरत है।एनसीपी ने कहा कि राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बिना स्थिर सरकार नहीं बन सकती है। दोनों नेताओं के बयानों से माना जा रहा है कि कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
‘सेकुलर’ बनाम ‘हिंदुत्व’ पर फंसा था पेच
बताया जा रहा है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच पेच फंसा हुआ था। तीनों के गठबंधन के लिए बातचीत करने वाले नेताओं के बीच ‘सेकुलर’ और ‘हिंदुत्व’ ताकतों को एक मंच पर लाना बड़ी चुनौती था। कांग्रेस-एनसीपी चाहती थीं कि ‘सेकुलरिज्म’ को गठबंधन का आधार बनाया जाय वहीं शिवसेना हिंदुत्व को छोड़ने को तैयार नहीं थी। इस गतिरोध का समाधान करते हुए इस बात पर जोर दिया गया कि सरकार ‘संविधान की आत्मा ‘ के मुताबिक काम करेगी।