Published On : Wed, Apr 19th, 2017

एनटीसीएल ने नागपुर की कंपनी गुप्ता एनर्जी के दिवालियापन को दी मंजूरी

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नागपुर: 
नागपुर से कोयला और स्टील के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के बुरे दिन इन दिनों शुरू है। कोयला उत्पादन से जुडी एक कंपनी सीधे तौर पर कोलघोटाले में शामिल रही जिसकी जाँच अब तक जारी है वही दूसरी तरफ शहर के प्रसिद्ध कारोबारी पद्मेश गुप्ता की स्वामित्व वाली गुप्ता कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायक कंपनी गुप्ता एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की मान्यता रद्द होने की कगार पर है। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल की मुंबई बेंच ने कंपनी के कॉर्पोरेट दिवालियापन के प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। इस संबंध में 12 अप्रैल 2017 को एक प्रसिद्ध अखबार में विज्ञापन भी प्रसारित किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक स्टील के क्षेत्र में काम करने वाले शहर के उद्यमियों ने 150 करोड़ की कंपनी के दिवलिया होने की घोषणा की है।

गुप्ता एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन कंपनी लॉ के अनुसार महाराष्ट्र में है और कंपनी का ऑफिस शहर के अंबाझरी इलाके में स्थित है। ट्राइब्यूनल ने 17 सितंबर 2017 तक दिवालिया रिज़ॉल्यूशन की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। कंपनी के लेनदाताओ को 24 अप्रैल 2017 तक डिजिटल मोड़ के माध्यम से अपने दावे पेश करने के लिए कहाँ गया है साथ ही कंपनी के कर्मचारी भी अपने बकाए का दवा पेश कर सकते है।

गुप्ता कॉर्पोरेशन लिमिटेड समूह के अंतर्गत अन्य ऑपरेटिंग कंपनिया जैसे गुप्ता कोल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड,गुप्ता एनर्जी रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड, गुप्ता ग्लोबल रिसोर्सेस प्राइवेट लिमिटेड, पी टी गुप्ता कोयला इंटरनेशनल और गुप्ता इंफ्रास्ट्रचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड संलंग्न है। बीते दिनों पिछले महीने गुप्ता कोल इंडिया ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में एक याचिका दायर कर खुद के दिवालिया होने की जानकारी दी थी कंपनी के मुताबिक आठ प्रमुख बैंको की कुल 2580 करोड़ रूपए की देनदारी उस पर है। मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी ने इलाहबाद बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया से कंपनी ने करोड़ो का कर्जा लिया है। कंपनी मोनेट इस्पात ऊर्जा सहित बिजली उत्पादन कंपनियों को कोयले की आपूर्ति करती थी।

किसी कंपनी द्वारा खुद को दिवालिया घोषित करने के बड़े मामलों में से यह एक मामला है। वर्ष 1940 में स्थापित हुई कंपनी का महाराष्ट्र विद्युत निगम, एपी कोयला वॉशरीज और मॉनेट डेनियल कोल वाशरी के साथ संयुक्त उपक्रम भी हैं। कंपनी के मालिक पद्मेश गुप्ता का नाम कोयला ब्लॉक आवंटन में भी सामने आया था जिसके बाद उनका असली संकट शुरू हुआ। सीधे तौर पर घोटाले में नाम सामने आने के बाद पद्मेश गुप्ता लो प्रोफ़ाइल रखने लगे इस दौरान अपने राजनितिक संबंधो का इस्तेमाल मामले से बचने का प्रयास कर रहे थे। पर ऐसा हो नहीं पाया अंततः उन्होंने अपनी कंपनियों के दिवालिए होने की घोषणा कर डाली।

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