Published On : Sat, Oct 20th, 2018

पं. रामनारायण शर्मा की स्मृति में राष्ट्रीय संगोष्ठी आरंभ

Advertisement

नागपुर: भारतीय वैद्यक समन्वय समिति संचालित श्री आयुर्वेद महाविद्यालय, नागपुर द्वारा वैद्य पं. रामनारायण शर्मा- संस्थापक श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन. प्रा. लि की स्मृति में ‘रोल आॅफ आयुर्वेद एंड योगा इन पेन मैनेजमेंट’ विषय पर शनिवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी व कार्यशाला का आरंभ श्री आयुर्वेद महाविद्यालय, हनुमान नगर में किया गया।

कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर पूर्व कुलपति एस.आर राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वैद्य बनवारीलाल गौड़, मुख्य अतिथि सीसीआईएम, नई दिल्ली के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी, अतिथि के रूप में योगाचार्य जनार्दन स्वामी योगाभ्यासी मंडल के रामभाउ खांडवे, बीवीएसएस के सचिव डाॅ. गोविंदप्रसाद उपाध्याय, वैद्य पवन कुमार गोड़टवार, वैद्य सुरेंद्र शर्मा, वैद्य जयप्रकाश नारायण, आयुष मुंबई के संचालक वैद्य कुलदीपराज कोहली, महाराष्ट्र आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ नासिक के निरीक्षक के शिवाजी भोसले, भारतीय वैद्यक समन्वय समिति के उपाध्यक्ष वेदप्रकाश शर्मा, सहसचिव वैद्य रामकृष्ण छांगाणी, कोषाध्यक्ष वैद्य पुखराज बंग, श्री आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. मोहन येवले, आयोजन सचिव डा. अर्चना बेलगे, श्री आयुर्वेद महाविद्यालय के उपप्राचार्य डा. मृत्युंजय शर्मा, उपप्राचार्य डा. रमन बेलगे, सहसचिव डा. सपना उके उपस्थित थे।

कार्यक्रम का आरंभ सभी प्रमुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया। पश्चात सचिव गोविंदप्रसाद उपाध्याय ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए उपस्थित अतिथियों का परिचय कराया। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष बनवारीलाल गौड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आयुर्वेद, योगा, साधना, ध्यान व आसन निश्चित रूप से वेदना के निवारण में सहायक सिद्ध होते हैं। वहीं वेदना, दर्द को योग की क्रियाओं द्वारा दूर किया जा सकता है।

जयंत देवपुजारी ने कहा कि संगोष्ठी का विषय बहुत ही श्रेष्ठ व युगानुकुल विषय है। वेदना तो सर्वव्यापि है। वेदना न सिर्फ शरीर की होती है अपितु मानसिक व मन की भी होती है। इस वेदना को छोटे छोटे भागों में विभाजित कर उस पर शोध किया जाना चाहिये। आयुर्वेद, योगा एक ऐसी दवा है जिससे शारीरिक व मानसिक वेदना को दूर किया जा सकता है। योगाचार्य जनार्दन स्वामी योगाभ्यासी मंडल के रामभाउ खांडवे ने विचार रखते हुए कहा कि शारीरिक दुःखों का पता जल्दी चल जाता है। इन दुःखों से मुक्ति पाने की शक्ति योगा व आसन में है। योगा को अपनाना आज के समाज के लिये अतिआवश्यक है। योग व आसनों की उत्तम क्रियाओं व सकारात्मकता के दृष्टिकोण से समाज स्वस्थ्य बना रह सकता है।

इस अवसर पर अतिथियों के हाथों से राष्ट्रीय संगोष्ठी स्मारिका का विमोचन किया गया । उत्कृष्ठ शिक्षक के रूप में सचिन चंडालिया को पुरस्कृत किया गया वहीं विद्यालय के प्रावीण्यता प्राप्त छात्र व छात्राओं का सत्कार इस अवसर पर किया गया। संगोष्ठी में वैद्य बनवारीलाल गौड़, बेंगलौर के वैद्य जयप्रकाश नारायण, मुंबई के आयुष संचालक डा. के आर कोहली, जयपुर के डा. पवन कुमार, नई दिल्ली के डा. श्रीकांत गौड़, रायपुर की डा. अरूणा ओझा, हरियाणा की डा. वीणा शर्मा, पूणे के डा. मिहिर हर्जनवीस, हरिद्वार के प्रो. उत्तम शर्मा ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया।

रविवार 21 अक्तूबर को सुबह 9 से 1 बजे तक प्रत्यक्ष क्रियाकलापों के लिये कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें जलगांव के वैद्य नरेंद्र गुजराती-अग्निकर्म, अमरावती के वैद्य सुभाष वाष्र्णेय- जलौकावचरण, मुंबई के वैद्य कुलकर्णी -विद्ध चिकित्सा, वैद्य सचिन चंडालिया- नस्यकर्म तथा वैद्य प्रसाद देशपांडे- योगिक क्रियाओं का प्रात्याक्षित करेंगे।

कार्यक्रम की सफलतार्थ डा. रमण बेलगे, डा. जयकृष्ण छांगाणी, डा. विनोद रामटेके, डा. कल्पेश उपाध्याय, डा. श्वेता वलेचा,डा. अश्विनी आगड़े, डा. प्रियंका बांगरे, डा. मनीषा कोठेकर, डा. अर्चना दाचेवार, डा. विनोद चैधरी, डा. देवयानी ठोकल, डा. बृजेश मिश्रा, डा. योगेश बड़वे, डा. रचना रामटेके, डा. किरण टवलारे, वैद्य हरीष पुरोहित, वैद्य स्नेहविभा मिश्रा सहित अन्य अथक प्रयास कर रहे हैं।