Published On : Thu, Sep 12th, 2019

हमेशा गिला-गिला रहता हैं अंडरब्रिज

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राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण की लापरवाही का रोजाना भुगतान भुगत रही आवाजाही करने वाली हज़ारों राहगीर

नागपुर: ‘नाम बड़े और दर्शन खोटे’ इस कहावत को देश में इन दिनों विवादित विभाग राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने सक्षमता से ज्यादा बोझ ले लिया,उचित व्यवस्था का आभाव तो हैं।जिसके कारण विभाग की गुणवत्ता मिटटी पलित होती जा रही.इसी का उदहारण हैं कोराडी मार्ग पर झिंगाबाई टाकली से ॐ नगर की ओर जाने वाली रेलवे अंडरब्रिज के भीतर २४ घंटे गिला-गिला रहता हैं,जो आवाजाही करने वालों के लिए सरदर्द बन चूका हैं.

केंद्र में भाजपा की सरकार हैं,इसी सरकार के नेतृत्व में पागलखाना से लेकर सावनेर तक राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने फोर लेन सड़क का निर्माण किया।इस बीच प्रमुख चौराहों और रेलवे पटरियों पर फ्लाईओवर का निर्माण भी किया। क्यूंकि निर्माणकार्य बीओटी आधार पर ओरिएंटल कंपनी ने किया इसलिए गुणवत्ता आदि को तहरिज नहीं दी गई,इस ओर प्राधिकरण ने भी नज़रअंदाज ही किया।

इसी दौरान झिंगाबाई टाकली से ॐ नगर तक आवाजाही करने वाले सत्ताधारियों ने रेलवे अंडरब्रिज के निर्माण हेतु महिना भर आंदोलन किया,तब जाकर सम्बंधित मंत्री ने अपने पक्ष के कार्यकर्ताओं को तहरिज देकर रेलवे अंडरब्रिज निर्माण करने का आदेश प्राधिकरण के मार्फ़त ठेकेदार कंपनी ओरिएंटल को दिया।

ठेकेदार ने निर्माण करते वक़्त दोनों ओर से रेलवे पटरी के निचे ढालू कर दिया।पटरी के निकट से गुजरने वाली नाली कके ऊपर स्लैब न डालते हुए सिर्फ जाली लगाकर खुला छोड़ दिया। और तो और दोनों ओर की अंडर ब्रिज की दीवारों में आसपास के पानी की निकासी का मार्ग बना देने से सरदर्दी बढ़ गई हैं.

– साल भर यह अंडरब्रिज गिला रहता हैं.
– ब्रिज की दीवारों से २४ घंटे पानी बहते देखा जा सकता हैं.
– बारिश के दिनों में ज्यादा वर्षा हुई तो मार्ग आवाजाही के लिए बाधित हो जाता हैं.
– मजबूर-जरूरतमंद जमा पानी से पैदल या फिर अपने वाहन चलाकर गुजरते हैं.
– तेज गति से २-४ चक्के वाले वाहन चालक आवाजाही करने वालों को भींगा देते हैं.
– अंडर ब्रिज का छत से बड़ी मात्रा में पानी टपकता रहता हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त समस्याओं से स्थानीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण के अमूमन सभी अधिकारियों को अवगत करवाया गया.इस विभाग का केंद्रीय मंत्री भी नागपुरी होने के बावजूद प्राधिकरण के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगना अर्थात सत्तापक्ष का प्रशासन पर पकड़ नहीं होने का संकेत दे रहा.और तो और अंडरब्रिज के निर्माण के लिए आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं की भी चुप्पी समझ से परे हैं.